भूमिहीन किसानों के जीवन-यापन के लिए शासन के निर्देशन पर जिले में सामुहिक कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से जमीन आवंटित की गई थी। इस आवंटित जमीन पर इन किसानों को खेती कर अपने परिवार का जीवन-यापन करना था। सालों पूर्व दी गई इस जमीन का कुछ समय तक तो सही से उपयोग हुआ और बाद में धीरे-धीरे इस पर कुछ विशेष लोगों का कब्जा होकर रह गया। जिन किसानों के नाम पर यह जमीन ली गई थी, वह यहां मजदूर बनकर रह गए। इसे लेकर लंबे समय से शिकायतें प्राप्त हो रही थी। जमीन के दुरूपयोग एवं अतिक्रमण को लेकर न तो सहकारिता विभाग कार्रवाई करता दिख रहा था और न ही प्रशासन। हाल ही में जतारा विधायक हरिशंकर खटीक द्वारा इसे लेकर विधानसभा में प्रश्न लगाया था। मामला विधानसभा पहुंचने के बाद जहां सहकारी विभाग हकरत में आया वहीं प्रशासन ने इसकी सुध ली।
दो समिति का हुआ परिसमापन
कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए दो सामुहिक कृषि खास समितियों का परिसमापन कर उनकी जमीन वापस ले ली है। कलेक्टर द्विवेदी द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि शासन द्वारा कृषि साख सहकारी समिति दांतगोरा को 525 एकड़ 8 डिसमल भूमि का पट्टा दिया गया था। इस समिति को परिसमापन में लाने के कारण कलेक्टर ने इस जमीन को वापस राजस्व विभाग के रेकार्ड में दर्ज कर दिया है। वहीं बल्देवढ़ ब्लॉक के ग्राम ददगांय की समिति का भी परिसमापन कर उसके नाम दी गई 154 एकड़ 24 डिसमिल जमीन को राजस्व रेकार्ड में दर्ज कराने के निर्देश दिए गए है।
सालों से दबी थी शिकायत
इस मामले में विभाग की माने तो पहले भी इन जमीनों के दुरूपयोग को लेकर शिकायतें आई थी। सूत्र बताते है कि लगभग 12 साल पूर्व इन समितियों का परिसमापन करने के लिए कार्रवाई प्रस्तावित की गई थी। लेकिन आयुक्त स्तर पर यह मामले दबे हुए थे। अब विधानसभा में मामला आने के बाद सारी फाइलें ऊपर आने लगी है। वर्तमान में ग्राम रमसगरा की समिति के परिसमापन की प्रक्रिया भी विचाराधीन चल रही है।