एक परिवार २५ हजार के बेच लेते है दिए
मुन्नालाल कुम्हार, मुरलीधर, छोटेलाल, कन्छेदी, रामदीन, कन्नू, गनेश, खाजू, प्रभू और हनू कुम्हार सहित १२ परिवार से अधिक लोगों द्वारा मिट्टी के दियों का निर्माण किया जाता है। बाजार में भी स्वदेशी दिए दिखाई देने लगे है। बढ़ती जनसंख्या के साथ स्वदेशी सामानों को खरीदने के लिए भी लोगों का प्रेम बढऩे लगा है। दिए बनाने वाले कामगारों का कहना है कि इस बार प्रत्येक दिए बेचने वाले दुकान दार को २५ से ३० हजार रुपए की आमदनी होगी। जिले में करीब १० लाख से अधिक का कारोबार किया जाता है। इस बार पिछले वर्ष की तुलना में अधिक होने की संभावना है।
देशी दिए बेचने वालों को करें प्रोत्साहित
दीपावली पर्व पर कुम्हारों द्वारा मिट्टी के दिए बनाए जाते है। उन्हें बाजारों में विक्रय करने के लिए लाया जाता है। जिसको लेकर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने आदेशित किया है कि मिट्टी के दिए विक्रय किए जाने के लिए आने वाले इन ग्रामीणों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होना चाहिए। नगरपालिका, नगरपरिषद, ग्राम पंचायत क्षेत्र में उनसे किसी भी प्रकार की कर वसूली नहीं की जाए। इसके साथ ही मिट्टी के दिए के उपयोग के लि