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दीपावली त्योहार में देशी दिए की बढ़ी मांग, चायना का नहीं आ रहा सामान

locationटीकमगढ़Published: Oct 23, 2019 07:18:50 pm

Submitted by:

akhilesh lodhi

दीपावली त्योहार में देशी मिट़्टी से बनाए गए दिए बाजार में इस बार दिखाई देगें।

After the order of the Collector, the city administration and Gram Panchayat will cooperate

After the order of the Collector, the city administration and Gram Panchayat will cooperate

टीकमगढ़.दीपावली त्योहार में देशी मिट़्टी से बनाए गए दिए बाजार में इस बार दिखाई देगें। जिसके लिए कु म्हार समाज के लोगों द्वारा पिछली वर्ष से अधिक दियों का निर्माण किया जा रहा है। वहीं कलेक्टर ने भी नगर प्रशासन और ग्राम पंचायत को देशी दिए बेचने वालों को बाजार में जगह देने और मद्द करने के आदेश दिए है।
पुरानी टेहरी निवासी मुन्नालाल कुम्हार ने बताया कि २५ वर्षो से मिट्टी के बर्तन और दिए बनाने का कार्य कर रहा हूं। पहले हाथ से चलाने वाले चाक का उपयोग किया जाता था। अब मशीन के चाक का उपयोग किया जा रहा है। १५ वर्ष तक देशी दिए में जमकर आमदनी होती थी। इसके साथ ही चायनीज और बाहर से आने वाले दियों ने धंधे को चौपट कर दिया था। उससे कुम्हार समाज ने मिट्टी दिए और बर्तनों का कारोबार आधे से कम कर दिया था। कई समाज के लोगों द्वारा काम बंद दिया गया। करीब २ साल से देशी दिए और मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करने के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा जोर दिया गया। उसके बाद बाहर और चायनीज के दियों का बहिष्कार किया गया। उसके बाद कुम्हार समाज द्वारा बनाए गए देशी सामान की मांग बढऩे लगी। इसके साथ ही देशी सामानों को खरीदने के लिए प्रेम भी बड़ा।
मेहनत से बनता है मिट्टी के सामान
मिट़्टी के कामगारों ने बताया कि दिए बनाने और बर्तन बनाने के लिए अलग-अलग जगह से मिट्टी को लाया जाता है। दिए के लिए मऊघाट और बर्तन के लिए रम्मन्ना जंगल से मिट्टी लाई जाती है। शाम को मिट्टी का चूरन किया जाता है। पानी में गलाकर कंकड़ों और कचरा को बाहर निकाला जाता है। इसके साथ ही कपड़ा और चलनी से मिट्टी को निकाला जाता है। दिए और बर्तन बनाने के लिए मिट़्टी को चाक पर रखा जाता है। इसके बाद बर्तनों का निर्माण किया जाता है।ए प्रोत्साहित किया जाए।

एक परिवार २५ हजार के बेच लेते है दिए
मुन्नालाल कुम्हार, मुरलीधर, छोटेलाल, कन्छेदी, रामदीन, कन्नू, गनेश, खाजू, प्रभू और हनू कुम्हार सहित १२ परिवार से अधिक लोगों द्वारा मिट्टी के दियों का निर्माण किया जाता है। बाजार में भी स्वदेशी दिए दिखाई देने लगे है। बढ़ती जनसंख्या के साथ स्वदेशी सामानों को खरीदने के लिए भी लोगों का प्रेम बढऩे लगा है। दिए बनाने वाले कामगारों का कहना है कि इस बार प्रत्येक दिए बेचने वाले दुकान दार को २५ से ३० हजार रुपए की आमदनी होगी। जिले में करीब १० लाख से अधिक का कारोबार किया जाता है। इस बार पिछले वर्ष की तुलना में अधिक होने की संभावना है।
देशी दिए बेचने वालों को करें प्रोत्साहित
दीपावली पर्व पर कुम्हारों द्वारा मिट्टी के दिए बनाए जाते है। उन्हें बाजारों में विक्रय करने के लिए लाया जाता है। जिसको लेकर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने आदेशित किया है कि मिट्टी के दिए विक्रय किए जाने के लिए आने वाले इन ग्रामीणों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होना चाहिए। नगरपालिका, नगरपरिषद, ग्राम पंचायत क्षेत्र में उनसे किसी भी प्रकार की कर वसूली नहीं की जाए। इसके साथ ही मिट्टी के दिए के उपयोग के लि
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