नष्ट नही होता बीज: गाजर घास के विषय में कृषि महाविद्यालय के कीट वैज्ञानिक डॉ एमके नायक का कहना है कि गाजर घास का बीज बहुत पक्का होता है। इसके एक पेड़ में एक बार में 1 से 5 हजार बीच होते है। जब यह फूल पर होती है, उसी समय जड़ से उखाड़कर बर्मीकम्पोस्ट से इसका खाद बनाकर इसके बीज को खत्म किया जा सकता है। नही तो इसका कोई उपचार नही। इसका बीज इतना मजबूत होता है कि जानवर के खाने पर भी यह उसके पेट में भी यह साबित रहता है। फिर गोबर के साथ यह बीज फैल जाता है। इसकी जड़ भी जमीन के बहुत नीचे तक जाती है। इससे इसे आसानी से उखाडऩा मुश्किल होता है। डॉ नायक का कहना है कि अब तक ऐसा कोई बीडीसाईड(खरपतवार नाशक) भी नही बना है, जो इसे खत्म कर सकें।
वीटल बनेगा सहायक: गाजर घास की इस समस्या का हल निकालने के लिए महाविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक डॉ योग रंजन ने मेक्सिको में पाए जाने वाले एक विशेष प्रकार के वीटल(कीड़े) को यहां मंगाने की योजना बनाई है। जायलोग्राम वाईकोलोराटा नाम के इस वीटल की खासियत यह है कि इसका आहार केवल गाजर घास है। गाजर घास न मिलने पर यह कीड़ा मर जाता है। किसानों की समस्या को देखते हुए कृषि महाविद्यालय ने उन्नत भारत तकनीकि योजना के तहत इस वीटर के 5 हजार पेयर मंगाए है। इन पेयर को महाविद्यालय में पाला जाएगा। इनका मल्टीपिकेशन होने के बाद इन्हें गाजर घास में छोड़ दिया जाएगा।
5 गांव पायलट प्रोजेक्ट में शामिल: कृषि महाविद्यालय ने इस कीट से गाजर घास का खात्मा करने के लिए पायलट प्रोजेक्टर में सबसे पहले पांच गांव शामिल किए है। डॉ योग रंजन ने बताया कि टीकमगढ़ के कुण्डेश्वर, अस्तौन, पहाड़ी, गनेशगंज एवं करमारई को इस योजना में शामिल किया गया है। यहां पर गाजर घास की समस्या कुछ ज्यादा ही है। उनका कहना है कि 2 साल के अंदर इन गांवो से गाजर घास खत्म कर दी जाएगी।
कहते है अधिकारी: गाजर घास की समस्या को देखते हुए मेक्सिकन वीटल को लाने की योजना बनाई गई है। यह गाजर घास का दुश्मन है। उन्नत भारत तकनीकि योजना के तहत यह वीटल फ्री ऑफ कॉस्ट प्राप्त होगा। यह वीटल ही इस घास का एक मात्र उपचार है।- डॉ योग रंजन, जैव प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय, टीकमगढ़।