ये है मामला: ग्राम बरट निवासी ज्ञान राजपूत ने बताया कि वह सुबह 7 बजे अपनी बहू को प्रसव के लिए नौगांव अस्पताल लेकर पहुंची थी। यहां मौजूद स्टाफ ने बताया कि बहू की डिलेवरी लगभग 10 बजे तक होना है।
चार घंटे तक बहू अस्पताल में ही फर्श पर पड़ी रही। इसके बाद जब डॉक्टर एवं अन्य स्टाफ यहां पहुंचा तो बहू तो भर्ती कराने के लिए प्रबंधन से चर्चा की, लेकिन फिर भी बहू को भर्ती नहीं कराया गया।
लगभग 12 बजे तक जब महिला को कोई इलाज नहीं मिला और उसकी प्रसव पीड़ा बढ़ती गई तो परिवार के लोग एक प्राइवेट वाहन से उसे जिला अस्पताल लेकर आ रहे थे, लेकिन तभी नवोदय विद्यालय के समीप ही प्राइवेट वाहन में महिला का प्रसव हो गया और उसके पेट से मृत बच्चा बाहर निकला।
इस दुर्घटना से दुखी परिवार ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। ज्ञान राजपूत का कहना है कि नौगांव अस्पताल में न तो समय पर इलाज किया गया और न ही समय पर मरीज को रेफर किया गया। यदि समय पर गर्भवती महिला को इलाज मिल जाता तो नवजात की जान नहीं जाती।
मानव अधिकार आयोग ने एक महीने में मांगी जांच रिपोर्ट
मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, छतरपुर से एक माह में जवाब मांगा है। आयोग ने कहा है कि मामले की जांच कराकर जांच रिपोर्ट भेजें। साथ ही यह भी पूछा है कि पीड़िता को कोई मुआवजा राशि दी गई है या नहीं?
नौगांव अस्पताल में गर्भवती महिला के प्रसव के मामले में सीएचएमओ को निर्देशित किया गया है। जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।
- संदीप जी आर, कलेक्टर छतरपुर