यह है कि महाविद्यालयों का हाल: स्वास्थ्य से ज्यादा खराब स्थिति शिक्षा की बनी हुई है। जिले के कई महाविद्यालयों में तो स्थिति ऐसी है कि नाम के लिए ही प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापकों की तैनाती की गई है। जिला मुख्यालय पर पीजी कॉलेज को मिलाकर जिले में पुराने 6 महाविद्यालय है। इन महाविद्यालयों में प्राध्यापकों के 15 तो सहायक प्राध्यापकों के 113 पद स्वीकृत है। इनके विरूद्ध जिले में कुल 2 प्राध्यापक एवं 42 सहायक प्राध्यापक ही कार्यरत है। इसके साथ ही सरकार ने इस बार जिले में लिधौरा, मोहनगढ़ एवं बल्देवगढ़, तीन नए महाविद्यालयों की स्थापना की है। इनमें भी प्रारंभिक व्यवस्थाएं बनाने के लिए जिला मुख्यालय के पीजे कॉलेज से एक-एक प्राध्यापक एवं एक-एक लिपिक को काम चलाने के लिए भेजा गया है। यहां पर भी सभी पद खाली पड़े हुए है।
मूलभूत सुविधाओं पर भी ध्यान जरूरी: शिक्षा और स्वास्थ्य लोगों की मूलभूत आवश्यकता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में शासन ने इन पर कोई ध्यान नही दिया है। शासन द्वारा जिला मुख्यालय पर ट्रामा सेंटर, कंगारू मदर केयर जैसे अत्याधुनिक वार्ड एवं महाविद्यालयों के लिए सर्व सुविधायुक्त भवन तो बनाए है, लेकिन इनमें मरीजों की सेवा कौन करेगा, छात्रों को शिक्षा कौन देगा, इस पर कोई ध्यान नही दिया गया है। नई सरकार आने के बाद ही मुख्यमंत्री कललनाथ एक्शन मोड में आ गए है और गरीब, किसानों एवं युवाओं के लिए एक के बाद एक नई घोषणाएं करने में लगे है। ऐसे में लोगों को उम्मीद जागी है कि सरकार इस पर भी ध्यान दें। क्यों कि अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य लोगों के मूलाधार है, यदि सरकार इन्हें मजबूत कर देती है, तो बहुत सी समस्याओं का अपने आप ही समाधान हो जाएगा।
कहते है अधिकारी: पिछले 15 सालों में भाजपा ने प्रदेश की व्यवस्थाओं को बुरी तरह से तोड़-मरोड़ दिया है। प्रदेश की माली हालत भी बहुत खराब हो गई है। लेकिन सरकार मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने में कोई कसर नही छोड़ेगी। कांगे्रस सरकार हर क्षेत्र में लोगों को सुविधाएं देगी। स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति को बेहतर किया जाएगा।- बृजेन्द्र सिंह राठौर, विधायक, पृथ्वीपुर।