कड़कड़ाती धूप में खेतों से पानी लाने को मजबूर हैं महिलाएं
ग्राम के रंगयाना मोहल्ला, हरिजन बस्ती ऊपर का मुहल्ला, बापूनगर, गंज मोहल्ला एवं बस स्टैंड खंदिया मोहल्ला, खुट का डाबर, पडुआ का खिरक, आदिवासी क्षेत्र, चौरसिया मोहल्ला, पैतपुरा तिगैला समेत कई हिस्सों में पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है। ऐसे में यहां की महिलाओं को खेतों में लगे बोरों से बच्चों के साथ कड़कड़ाती धूप में पानी लाना पड़ता है।
कमला बाई, प्रीति देवी, रश्मि देवी, नीलम आदि ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा पिछले वर्ष जगह-जगह पानी की टंकिया रखवाई गई थी लेकिन इस बार उन टंकियों का कोई अता पता नहीं है। घर के सभी काम छोड़कर सुबह से ही हैंडपंपो पर पानी भरने जाना पड़ता है या फिर रात को जागकर पानी का इंतजाम करना पड़ता है। वहीं कुछ महिलाओं ने कहा कि सोशल डिस्टेंस का पालन करना जरूरी है यह बात वह जानती है पर पानी न मिलने पर झुलसा देने वाली धूप में पानी का इंतजाम करना भी तो जरूरी है नहीं तो कोरोना संक्रमण बाद में पहले प्यास हमारी जान ले लेगी।
कूपों ने छोड़ा साथ
वहीं ग्राम में जल समस्या निदान के कोई उपाय नजर नहीं आ रहे हैं। लगभग सभी कूपों ने लोगों का साथ छोड़ दिया है। ग्राम की आदिवासी बस्ती एवं रंगयाना मोहल्ले में कुल पांच हैंडपम्प में से तीन खराब हैं। वहीं आदिवासी महिलाओं को दो किलोमीटर दूर खेतों में लगे ट्यूबवेल से 100 रुपए महीना पानी भरकर लाना पड़ रहा है। यहां की महिलाओं ने अधिकारियों से कई बार गांव में टैंकर भिजवाने की गुहार लगाई लेकिन किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई।