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तपती गर्मी में बूंद बूंद पानी के लिए भटक रहे ग्रामीण

locationटीकमगढ़Published: Jun 03, 2020 08:57:53 pm

Submitted by:

akhilesh lodhi

ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी का मौसम आते ही लगभग सभी जलस्रोत जबाब दे गए हैं। इस कारण ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

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टीकमगढ़/चंदेरा. ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी का मौसम आते ही लगभग सभी जलस्रोत जबाब दे गए हैं। इस कारण ग्रामीणों को बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। वही कुछ लोग टैंकरों से पानी खरीदने को मजबूर हैं। ग्राम में जलस्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है। वही नल जल योजना का लाभ कुछ वार्डों तक ही पहुंच पाया है। विदित हो कि वर्ष 2004 में ग्राम में पानी की टंकी का निर्माण किया गया तथा कुछ वार्डों में पाइप लाइन डाल कर इस योजना को मूर्तरूप दे दिया गया। इसके बाद ग्राम के बाकी हिस्सों में पानी पहुंचाने की न तो स्थानीय प्रशासन और न ही विभाग ने जहमत उठाई। वहीं वर्ष 2017 में एक नवीन बोर खनन किया गया जिससे नल जल योजना सुचारु रूप से चल सके पर कभी विद्दुतीकरण तो कभी स्थानीय नुमाइंदों की लापरवाही के कारण अधिकांश समय नल जल योजना ठप्प पड़ी रहती है। इतना ही नहीं जिन घरों में नल कनेक्शन दिए भी गए तो वहां कभी कभार ही पानी नसीब होता है।
कागजो में चालू हैंडपम्प
ग्राम का जलस्तर लगातार खिसकता जा रहा है। शासन प्रशासन के द्वारा ग्राम में 67 बोरों का खनन किया गया है। इनमें से लगभग 59 सही एवं 8 बोरों में पानी न होना बताया गया है। ग्राम की लगभग 15000 की आबादी साहू मोहल्ला, अंबेडकर तिराहे, चौरसिया मोहल्ला बिहारी जी मंदिर के पास लगे हैंडपंपो पर निर्भर है। शेष हैंड पम्प या तो खराब पड़े हैं या फिर सूख गए हैं।
खरीदकर पी रहे पानी
जलसंकट दिन पर दिन गंभीर होते जा रहा है। ऐसे में उन्हें टैंकरों से पानी खरीदकर प्यास बुझानी पड़ रही है। घटिया निवासी पवन साहू ने बताया कि वहां निवास करने वाले बाशिन्दों को पांच सौ रुपए टैंकर या पांच रुपए कुप्पे के हिसाब से पानी खरीदना पड़ रहा है। किशोरी लाल खटीक ने बताया कि टंकी निर्माण के बाद ग्राम के कुछ हिस्सों में पाइप लाइन बिछाई गई थी। इसके बाद हम लोगों ने सारे ग्राम में पाइप लाइन बिछाकर घर घर पानी पहुंचाने के लिए विभागीय अधिकारियों से अनुरोध किया लेकिन किसी ने पहल नहीं की। ऐसे में पानी मोल खरीदने के अलावा कोई और चारा नहीं है।

कड़कड़ाती धूप में खेतों से पानी लाने को मजबूर हैं महिलाएं
ग्राम के रंगयाना मोहल्ला, हरिजन बस्ती ऊपर का मुहल्ला, बापूनगर, गंज मोहल्ला एवं बस स्टैंड खंदिया मोहल्ला, खुट का डाबर, पडुआ का खिरक, आदिवासी क्षेत्र, चौरसिया मोहल्ला, पैतपुरा तिगैला समेत कई हिस्सों में पानी के लिए त्राहिमाम मचा हुआ है। ऐसे में यहां की महिलाओं को खेतों में लगे बोरों से बच्चों के साथ कड़कड़ाती धूप में पानी लाना पड़ता है।
कमला बाई, प्रीति देवी, रश्मि देवी, नीलम आदि ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा पिछले वर्ष जगह-जगह पानी की टंकिया रखवाई गई थी लेकिन इस बार उन टंकियों का कोई अता पता नहीं है। घर के सभी काम छोड़कर सुबह से ही हैंडपंपो पर पानी भरने जाना पड़ता है या फिर रात को जागकर पानी का इंतजाम करना पड़ता है। वहीं कुछ महिलाओं ने कहा कि सोशल डिस्टेंस का पालन करना जरूरी है यह बात वह जानती है पर पानी न मिलने पर झुलसा देने वाली धूप में पानी का इंतजाम करना भी तो जरूरी है नहीं तो कोरोना संक्रमण बाद में पहले प्यास हमारी जान ले लेगी।
कूपों ने छोड़ा साथ
वहीं ग्राम में जल समस्या निदान के कोई उपाय नजर नहीं आ रहे हैं। लगभग सभी कूपों ने लोगों का साथ छोड़ दिया है। ग्राम की आदिवासी बस्ती एवं रंगयाना मोहल्ले में कुल पांच हैंडपम्प में से तीन खराब हैं। वहीं आदिवासी महिलाओं को दो किलोमीटर दूर खेतों में लगे ट्यूबवेल से 100 रुपए महीना पानी भरकर लाना पड़ रहा है। यहां की महिलाओं ने अधिकारियों से कई बार गांव में टैंकर भिजवाने की गुहार लगाई लेकिन किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई।

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