समर्थन मूल्य पर होने वाली गेंहू खरीदी में अनियमितताएं रूकने का नाम नही ले रही है। गेंहू विक्रय करने वाले किसानों को जहां समितियों पर तमाम प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, वहीं समिति प्रबंधकों को सांठगांठ से जमकर फर्जी तरीके से गेंहू का विक्रय किया जा रहा है। ताजा मामला बैसा सहकारी समिति का सामने आया है। बीती रात्रि 1 बजे के लगभग कलेक्टर के निर्देशन पर तहसीलदार महेन्द्र कुमार गुप्ता ने छापामारी कर बैसा से खरीदी केन्द्र पर ले जाया जा रहा 52 बोरी गेंहू जब्त कर लिया है। यह गेंहू सरकारी बोरियों में भरा हुआ था।
भाग गया समिति प्रबंधक: जब तहसीलदार ने यह कार्रवाई की तो ट्रैक्टर के साथ बैसा सहकारी समिति के प्रबंधक प्रताप सिंह यादव भी थे। उन्होंने बताया कि यह गेंहू गांवक े नवल किशोर पुरोहित का है। लेकिन तहसीलदार ने जब उनसे और कुछ पूछता शुरू किया तो वह बाथरूम जाने का बहाना बनाकर वहां से भाग निकले। इसके बाद तहसीलदार ने इस टै्रक्टर को जब्त कर थाने में रखवा दिया।
कहां से आई सरकारी बोरियां: समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीदी के बाद गेंहू को सरकारी बोरियों में भरा जाता है। यह बोरियां किसी को भी देने की अनुमति नही होती है। फिर से यह बोरियां कैसे यहां आई, किसने दी, यह भी जांच का विषय है। इस ट्रैक्टर के साथ समिति प्रबंधक का भी मौके पर होना पूरे घटना को संदेहास्पद बना रहा है। एक प्रकार से कहें तो यह साफ है कि यह गेंहू फर्जी तरीके से समिति पर डालने के लिए ले जाया जा रहा था।
बंद हो चुकी है खरीदी: विदित हो कि सरकार द्वारा 25 मई से समर्थन मूल्य की खरीदी बंद कर दी गई है। 25 मइ्र को दोपहर से पोर्टल बंद हो गया था। इससे यह भी साफ है कि समिति प्रबंधक द्वारा इस गेंहू को समिति पर डालने के लिए पूर्व में सारी तैयारियां कर ली होगी। हो सकता है कि पहले भी ऐसा गेंहू समिति पर डाला जा चुका हो। प्रशासन को हर पहलू से इस मामले की जांच करनी होगी। इस कार्रवाई के बाद रविवार को खाद्य निरीक्षक नवल आर्या ने मौके पर जाकर इसकी जांच की और संबंधितों के बयान दर्ज किए। उनका कहना है कि जांच के बाद पूरी फायल कलेक्टर को दी जाएगी और वहीं से कार्रवाई की जाएगी।