प्रताप की ब्रह्चार्य है
नेमिनाथ तीर्थंकर अपना विवाह करने राजा उग्रसेन के घर बड़ी भारी बारात के साथ पधारे।अहिंसा व्रत के कारण अपनी बारात में आए हुए मांस भक्षी लोगों के भोजन के लिए एकत्र किये गये पशु-पक्षियों पर करुणा करके उनको छोड़ दिया। अति रूपवती,नवतरुणी राजकुमारी के साथ विवाह करना त्याग कर साधु बन गए। देवागना समान सुंदरी राजमती ने नेमिनाथ से अपने साथ विवाह करने की अनेक प्रार्थनाए की। ब्रह्चारी नेमिकुमार पर कामदेव का रंचमात्र भी प्रभाव न हुआ। अतिशय रूपवान सुदर्शन सेठ स्वदारसंतोष अपनी विवाहित स्त्री के सिवाय अन्य सब स्त्रियों से मैथुन का त्याग व्रत के धारक थे। उनके सुंदर रूप पर आसक्त होकर रानी ने छल से अपनी धूर्त दासी के द्वारा उनको अपने महल में बुलवा लिया। अपनी कामाग्नि शांत कर देने के लिए सुदर्शन सेठ से बड़ी विनय प्रार्थना की।