पहले भी कर चुके हैं लापरवाही: कलेक्टर ने इस प्रतिवेदन में बताया कि बीते वर्ष 16 अगस्त को भी एक मरीज आईसीयू में भर्ती हुआ था। तब ड्यूटी चिकित्सक को कॉल कर बुलाया गया था, उस समय भी डॉ. शुक्ला वहां नहीं पहुंचे थे, जिससे मरीज की मृत्यु हो गई थी। इस मामले में जन आक्रोश भड़का था और दोनों पक्षों ने पुलिस में शिकायत दर्ज की थी। इस मामले की जांच के लिए तत्कालीन कलेक्टर प्रियंकादास ने एक पांच सदस्यीय टीम गठित की थी। जिसने अपनी रिपोर्ट में डॉ. शुक्ला की लापरवाही की बात का उल्लेख किया था।
इमरजेंसी ड्यूटी से इन्कार, घर पर चल रही थी पेथालॉजी
कलेक्टर अग्रवाल द्वारा डॉ. विकास जैन के घर में संचालित पेथालॉजी पर की गई कार्रवाई के संबंध में दिए गए प्रतिवेदन में बताया कि इन्हें भी प्रभारी विशेषज्ञ का पद दिया गया है। आपातकालीन रोस्टर के हिसाब से 17 जुलाई एवं 26 जुलाई को इनकी ड्यूटी लगाई गई है, परंतु उन्होंने ड्यूटी करने से इन्कार किया है। जबकि उनके निज निवास पर नियम विरूद्ध तरीके से पेथोलॉजी लेब का संचालन किया जा रहा है। नियमों के हिसाब से शासकीय चिकित्सक कर्तव्य की अवधि के बाहर मात्र निज निवास पर चिकित्सा परामर्श देने की छूट है, शासकीय डॉक्टरों को निज निवास पर बड़े उपकरण, पेथोलॉजी, सोनोग्राफी एवं नर्सिंग होम चलाने की पात्रता नहीं है। डॉ. विकास जैन द्वारा इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था।
जनता खुश, डॉक्टर नाखुश: जिला अस्पताल में इलाज के नाम पर सक्रिय दलाल प्रथा, कमीशनखोरी, सही इलाज न मिलने से जनता काफी परेशान है परंतु कलेक्टर द्वारा शुक्रवार को की गई इस कार्रवाई का जनता में सकारात्मक असर देखा गया। लोगों ने इस कार्रवाई को अच्छा बताया। स्थानीय लोगों के मुताबिक अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा केवल खानापूर्ति की जा रही है। सही इलाज तो केवल घर पर ही किया जाता है। मरीजों को वहां तक पहुंचाने के लिए बाकायदा दलाल सक्रिय रहते हैं। परंतु इस कार्रवाई से डॉक्टर नाखुश नजर आए और देर शाम तक सभी एकत्रित होकर काम से दूरी बनाए रहे।