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शव का पीएम कराने 40 किलोमीटर भटके परिजन

locationटीकमगढ़Published: Feb 19, 2019 08:34:12 pm

Submitted by:

anil rawat

फंदा लगाकर किशोरी ने कर ली थी आत्महत्या, नही मिले डॉक्टर
 

Dysfunctional Health Services

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प्रदीप चौरसिया

(टीकमगढ़) बल्देवगढ़. एक किशोरी के आत्महत्या करने के बाद उसके शव का पोस्ट मार्टम कराने के लिए परिजनों को 40 किलोमीटर भटकना पड़ा। पीएम कराने के लिए शव लेकर घूम रहे परिजनों के दुख को डॉक्टरों की गैरमौजूदगी ने और बड़ा दिया। इस घटना ने एक बार फिर से जिले में डॉक्टरों की कमी से होने वाली समस्या को उजागर कर दिया है।
खरगापुर थाने के ग्राम कुड़ीला में निवास करने वाली पूजा पुत्री भगतराम लोधी ने अपने घर पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। घटना सोमवार की है। सोमवार की दोपहर 3 बजे के लगभग भगतराम जब बाजार गया था और उसकी पत्नी भी कहीं बाहर गई थी, उसी समय उसकी पुत्री ने घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। शाम 4 बजे के लगभग जब भगतराम लौट कर आया तो घर के दरवाजे खुले थे। अंदर जाकर उसने देखा तो उसकी पुत्री फंदे पर लटकी हुई थी। इसके बाद भगतराम ने इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने पंचनामा बनाकर शव को फंदे से उतारा और मर्ग कायम किया। पंचनामा एवं जांच की कार्रवाई होने के बाद देर शाम 8.30 बजे के लगभग पुलिस शव को लेकर खरगापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंची, लेकिन यहां पर कोई भी डॉक्टर उपस्थित नही था।

बल्देवगढ़ भी सूना: वहीं रात को पीएम न होने के कारण परिजन सुबह से शव को लेकर बल्देवगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे। यहां भी बीएमओ एसके छिलवार जहां छतरपुर मीटिंग में गए हुए थे, वहीं एक अन्य डॉक्टर भोपाल में थे। यहां भी डॉक्टर न मिलने के कारण परिजन शव को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। खरगापुर से लगभग 40 किलोमीटर तक शव लेकर आने के बाद जिला अस्पताल में उसका पीएम किया गया।
डॉक्टरों की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल: विदित हो कि पिछले कई वर्षों से पूरे जिले में डॉक्टरों की खासी कमी बनी हुई है। भाजपा सरकार में जब स्वास्थ्य महकमें के मंत्री के पास ही जिले का प्रभार था, उस समय भी डॉक्टरों की कमी थी अब सरकार बदलने के बाद भी वही हाल है। आलम यह है कि यहां पर मरीजों का उपचार तो दूर पीएम कराने के लिए भी डॉक्टर उपलब्ध नही हो रहे है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के दोनों डॉक्टरों के बाहर होने से जहां मृतिका पूजा का पीएम नही हो सका, वहीं दिन भर उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे मरीजों को भी बिना उपचार के ही वापस लौटना पड़ा।
कहते है अधिकारी: मैं मीटिंग में छतरपुर आया हूं। दूसरे डॉक्टर भी भोपाल गए है। इसलिए यहां पर कोई नही है।- एसके छिलवार, बीएमओ, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बल्देवगढ़।

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