अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए आज भी लोग पलायन करने को मजबूर है। इस पलायन का दर्द भी इतना गहरा है कि परिजन सालों में उसे भूल नहीं पा रहे है। अपने परिवार का भरण-पोषण करने जा रहे कई परिवारों को इसकी किमत अपनी बेटियों को खोकर चुकानी पड़ रही है। पिछले तीन साल में ऐसे 17 मामले सामने आए है, जिनमें माता-पिता अपनी बेटियों को खो चुके है और आज तक उनका पता नहीं चल सका है। अपने बेटियों का पता करने यह लोग आज भी महानगरों से लेकर अपने घरों तक परेशान होकर घूम रहे है।
दिल्ली से गायब हुई बेटी: बैसा उगड़ निवासी प्रेमलाल अहिरवार अपने परिवार काभरण-पोषण करने के लिए दिल्ली मजदूरी करने जाता था। जब बेटी भी सयानी हो गई थी, तो परिजन उसे भी दिल्ली साथ ले गए। लेकिन 3 जून 18 को उनकी बेटी दिल्ली से गायब हो गई। इसकी सूचना उन्होंने दिल्ली के ओखला फेस 3 थाने में दर्ज कराई, लेकिन आज तक बेटी की कोई जानकारी नहीं हो सकी है। इसके लिए वह कई बाद टीकमगढ़ पुलिस से भी मदद की गुहार कर चुके है, लेकिन मामला उनके क्षेत्र का न होने के कारण स्थानीय पुलिस सहायता करने से मना कर रही है। अपनी बेटी का हाल जानने के लिए परिजन परेशान है। प्रेमलाल का कहना है कि वह केवल एक बार यह जानना चाहते है कि उनकी बेटी ठीक है या नहीं।
और भी है मामले: परिजनों के पलायन कर जाने एवं बेटियों के गायब होने को लेकर काम कर रही संस्था ग्रामीण स्वालंबन समिति के सचिव राजकुमार अहिरवार का कहना था कि ऐसे 17 मामले पिछले 3 सालों में सामने आए है। इनमें अधिकांश में परिजनों को उनकी बेटियों की जानकारी नहीं हो सकी है। उनका कहना था कि कुछ मामलों में तो लड़किया दिल्ली से ही गायब हुई है और कुछ मामलों में माता-पिता के बाहर होने और बेटियों के घर में अकेले होने का फायदा स्थानीय लोगों द्वारा उठाया जा रहा है।
125 को किया दस्तयाब: इस मामले में एसपी अनुराग सुजानिया का कहना है कि ऐसे मामलों को पुलिस संवेनशीलता के साथ हैंडिल कर रही है। उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में जिले से 136 नाबालिगों के गायब होने की शिकायतें दर्ज कराई गई है और उनमें से 125 को दस्तयाब किया गया है। उनका कहना है कि जो मामले जिले के बाहर के है, उनमें भी कई में पीडि़तों की मदद की गई है। बाहर के जो भी मामले है, उनकी जानकारी कर आवश्यक मदद की जाएगी।