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बंधाजी में पहली बार एक साथ आई 9 आर्यिका

locationटीकमगढ़Published: Jul 20, 2019 08:55:57 pm

Submitted by:

akhilesh lodhi

बुंदेलखण्ड दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र बंधा जी बम्होरी बराना में पहली बार एक साथ 9आर्यिकाओं का चातुर्मास मंगल कलश स्थापना के साथ शुरू हो गया है।

 Establishment of Mars kalash in Chaturmas

Establishment of Mars kalash in Chaturmas

टीकमगढ़.बुंदेलखण्ड दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र बंधा जी बम्होरी बराना में पहली बार एक साथ 9आर्यिकाओं का चातुर्मास मंगल कलश स्थापना के साथ शुरू हो गया है। शुभ तिथि रविवार को 6. 30 पर भगवान का अभिषेक पूजन के साथ शांति धारा होगी। सुबह 10 बजे माता संघ की आहार चर्चा होगी। इसके बाद दोपहर 1 बजे से माताजी संघ का चातुर्मास मंगल कलश स्थापन का कार्यक्रम शुरू होगा। बंधा कमेटी द्वारा प्रतिभा स्थली पपौरा की ब्रह्मचारिणी बहनों को भी आमंत्रित किया गया है। आचार्य विद्यासागर महाराज की परम विदुषी शिष्या आर्यिका रत्न आदर्श मति माताजी की संघस्थ आर्यिका दुर्लभ मति माताजी 9पिच्छी का पावन वर्षा योग बंधा जी के इतिहास में पहली बार होने जा रहा है। इन 9 आर्यिकाओं का चतुर्मास बंधा में हो रहा है।
चातुर्मास में यह हुई शामिल
दुर्लभ मति माताजी, अमूर्त मति माताजी,अमंदमति माताजी, अभेद मति माताजी, स्वेत मति माताजी, गंतव्य मति माताजी, विनीत मति माताजी, विदेह मति माताजी और अदूर मति माताजी शामिल है। लार में भी आज ही के दिन 3 आर्यिका माताजी की मंगल कलश स्थापना के साथ चातुर्मास शुरू होगा ।
भगवान का होगा अभिषेक साथ पूजन
प्रदीप जैन ने बताया कि अतिशय क्षेत्र बंधा में शनिवार की सुबह कालीन वेला में भगवान का अभिषेक पूजन और शांति धारा संपन्न होगी। शनिवार की दोपहर 1 बजे से कलश स्थापन का कार्यक्रम शुरू होगा। कार्यक्रम में ध्वजारोहण होगा। इसके बाद बंधा बालिका मंडल द्वारा मंगलाचरण होगा। उसमें नृत्य की प्रस्तुति होगी। इसके बाद आचार्य भगवन विद्यासागर महाराज के भक्तों द्वारा विशेष पूजन किया जाएगा। अतिशय क्षेत्र बंधा के सभी ट्रस्टी कमेटी के पदाधिकारी गण क्षेत्रीय एवं बाहर से आने वाले सभी श्रद्धालु आचार्यश्री की पूजन में अलग-अलग अध्र्य समर्पण करेंगे। जैन धर्म में चातुर्मास सामूहिक वर्षा योग और चौमासा के रूप में भी जाना जाता है। यह चातुर्मास दीपावली को पूर्ण हो जाता है। यह जैन चातुर्मास 23जुलाई तक स्थापना हो सकती है। अहिंसा और जीवों पर दया को ही जैन धर्म का आधार माना गया है। महावीर का संदेश जियो और जीने दो यही सारे धर्मों की सार्थकता होनी चाहिए। ऐसे में जैन मुनि एवं साध्वी इस चातुर्मास में एक जगह रुककर लोगों को सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य के विषयों पर सद्ज्ञान देते हैं।

चातुर्मास में ही पड़ेगा यह बड़ा पर्व
दिगंबर संप्रदाय वाले 10 दिन तक पर्यूषण मनाते हैं। दशलक्षण में 10 धर्मों का पालन बताया जाता है। इन नियमों का करना होता है। चातुर्मास में तप साधना के साथ कुछ नियमों का पालन भी करना होता है। जैन मुनि और साध्वी सभी भौतिक सुख-सुविधाओं दूर रहते हैं। दिन में सिर्फ एक बार ही विधिपूर्वक आहार करते है। उनको अंतराय कर्म का पालन भी करना पड़ता है आहार लेते समय भोजन में एक छोटा सा बाल भी निकल आता है तो मुनि महाराज एवं साध्वी भोजन को छोड़ देते हैं। इस पूरी अवधि में क्रोध, झूठ, ईष्र्या अभिमान से बचना होता है। चातुर्मास के दौरान मौन साधना का विशेष महत्व है। इसलिए अधिक से अधिक मौन रखना होता है। बंधा कमेटी ने बताया कि माता के चातुर्मास कलश स्थापना की तैयारियां पूरी कर ली गई है। बाहर से आने वाले अतिथियों के लिए आवास एवं भोजन की व्यवस्था कमेटी द्वारा रखी गई है।

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