चातुर्मास में ही पड़ेगा यह बड़ा पर्व
दिगंबर संप्रदाय वाले 10 दिन तक पर्यूषण मनाते हैं। दशलक्षण में 10 धर्मों का पालन बताया जाता है। इन नियमों का करना होता है। चातुर्मास में तप साधना के साथ कुछ नियमों का पालन भी करना होता है। जैन मुनि और साध्वी सभी भौतिक सुख-सुविधाओं दूर रहते हैं। दिन में सिर्फ एक बार ही विधिपूर्वक आहार करते है। उनको अंतराय कर्म का पालन भी करना पड़ता है आहार लेते समय भोजन में एक छोटा सा बाल भी निकल आता है तो मुनि महाराज एवं साध्वी भोजन को छोड़ देते हैं। इस पूरी अवधि में क्रोध, झूठ, ईष्र्या अभिमान से बचना होता है। चातुर्मास के दौरान मौन साधना का विशेष महत्व है। इसलिए अधिक से अधिक मौन रखना होता है। बंधा कमेटी ने बताया कि माता के चातुर्मास कलश स्थापना की तैयारियां पूरी कर ली गई है। बाहर से आने वाले अतिथियों के लिए आवास एवं भोजन की व्यवस्था कमेटी द्वारा रखी गई है।