scriptवन भूमि पर कराया था अतिक्रमण और खनन: चार वनकर्मी निलंबित | four forest workers suspended | Patrika News

वन भूमि पर कराया था अतिक्रमण और खनन: चार वनकर्मी निलंबित

locationटीकमगढ़Published: Jan 18, 2022 08:26:36 pm

Submitted by:

anil rawat

– दो वर्ष पूर्व लोकायुक्त में दर्ज हुए प्रकरण में जांच के बाद हुई कार्रवाई

four forest workers suspended

four forest workers suspended

टीकमगढ़. वन परिक्षेत्र में अवैध रूप से अतिक्रमण कराने के मामले में वन मंडलाधिकारी ने दो वनपाल और दो वन रक्षकों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज किए गए प्रकरण के बाद की गई है। विदित हो कि वन भूमि पर बड़े पैमाने पर किए गए अतिक्रमण एवं खनन को लेकर दो साल पहले लोकायुक्त पुलिस से शिकायत दर्ज की गई थी।


वन मंडल अधिकारी एमपी सिंह ने कारी वन परिक्षेत्र के वनपाल वीरेन्द्र खरे, मजना परिक्षेत्र के वनपाल रियाजुद्दीन काजी, सुनौनी परिक्षेत्र के वन रक्षक अंचल चतुर्वेदी एवं कारी नंबर 2 बीट के वन रक्षक सुखदेव मिश्रा को निलंबित कर दिया है। इन सभी पर आरोप है कि इनके परिक्षेत्र में अवैध तरीके से बड़े पैमाने पर अतिक्रमण कर ईंट भट्टों का निर्माण करने के साथ ही अवैध खनन एवं तालाबों का निर्माण किया गया था। इस पर न तो इनके द्वारा कार्रवाई की गई थी और न ही इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई थी। ऐसे में इसे लापरवाही मानते हुए चारों को निलंबित कर दिया है।

 

लोकायुक्त में दर्ज है प्रकरण
विदित हो कि इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट ओमप्रकाश प्रजापति द्वारा 29 सितंबर 2020 को लोकायुक्त पुलिस से शिकायत की गई थी। इस पर जांच के बाद लोकायुक्त पुलिस ने 2 सितंबर 2021 को प्रकरण दर्ज कर सीसीएफ को मामले की जांच कराने के निर्देश दिए थे। इसके लिए सीसीएफ द्वारा टीम गठित कर मामले की जांच कराई गई थी।


रेंजर पर कार्रवाई नहीं
लोकायुक्त से की शिकायत पर तत्कालीन प्रभारी रेंजर का नाम भी शामिल था। यह पूरा क्षेत्र उनके ही अंडर में था। जांच में मामला सही पाए जाने के बाद संबंधित वनपाल और वन रक्षकों को तो निलंबित कर दिया गया है, लेकिन रेंजर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है। ऐसे में इस कार्रवाई पर सवाल उठ रहे है। इस मामले में वन मंडलाधिककारी एमपी सिंह से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।


मुख्य आरोप को बचाने का प्रयास
वहीं इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट ओमप्रकाश प्रजापति का कहना है कि यह कार्रवाई मुख्य आरोपी तत्कालीन प्रभारी रेंजर राजेन्द्र पस्तोर को बचाने का प्रयास है। उनका कहना इस मामले में भी विभाग को वैसे ही कार्रवाई करनी चाहिए जैसे आम लोगों के खिलाफ की जाती है। उन्होंने इस मामले में वन भूमि संरक्षण अधिनियम 1980, भारतीय वन अधिनियम 1927 एवं वन्य प्राणी अधिनियम 1972 के तहत कार्रवाई करने की मांग की है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो