पत्रिका की टीम गुरुवार की सुबह ११:१५ बजे जिला अस्पताल की भोजन वितरण प्रणाली को देखने पहुंची। सर्जिकल वार्ड से रसोई घर के बाहर खड़ी हो गई। अंदर से रसोई प्रभारी बाहर आए। दिन के हिसाब से भोजन मीन्यू की सारणी पूछी गई। उन्होंने कुछ ही देर में प्रिंट आउट देने की बात कही। फिर साहब से अनुमति लेने की बात कह दी। इस बीच में तीन बार रसोई प्रभारी रसोई घर के अंदर गए।
उप्र के सूरी निवासी अमोल सिंह ने बताया कि मां सुमित्रा राजपूत बीमार है। उनके उपचार के लिए अस्प्ताल में भर्ती कराया है। सुबह ५० ग्राम पतला दूध मिला था, जो बाल्टी के लोटा में रखा है। चाय और बिस्किट कब मिले। यह पता नहीं है। कल का भोजन ले तो लिया था, लेकिन स्वादहीन था। इस कारण से दूध के साथ बाल्टी में रखा है। वहीं पठा निवासी चंपा देवी ने बताया कि सुबह नास्ता कब आया, पता नहीं है। अधिकारियों की मौजूदगी में भोजन वितरण हो तो स्वादिष्ट और गुणवत्तापूर्ण मिलेगा।
जिला अस्पताल में मैं तीन दिनों से भर्ती हूं। दो दिन भोजन की क्वालिटी ठीक नहीं मिली, लेकिन आज भोजन देखने में अच्छा लग रहा है। ऐसा भोजन कोई अधिकारी के निरीक्षण करने पर मिलता है। पहली बार डिस्पोजल के बर्तन में भोजन मिला है।
सुदामा घोष, मरीज वर्माताल निवासी।
रामकली, तखा मजरा अस्पताल में भर्ती मरीज।
जिला अस्पताल दो सौ पलंग का है। भोजन मीन्यू अनुसार वितरण किया जाता है। बाकी की जानकारी साहब से अनुमति लेकर दे देंगे।
अंशुल मिश्रा, रसोई प्रभारी जिला अस्पताल टीकमगढ़।