सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए शासन द्वारा कायाकल्प अभियान चलाया गया था। इस अभियान का उद्देश्य था कि अस्पतालों में मरीजों के लिए आदर्श सुविधाएं उपलब्ध हो। यह सुविधाएं केवल कायाकल्प के लिए आने वाली टीम को दिखाने के लिए न हो, बल्कि यह सुविधाएं हर समय मरीजों के लिए अस्पताल में उपलब्ध कराई जाएं। लेकिन जिला अस्पताल में कायाकल्प अभियान के तहत दिए गए सुझाव मात्र दिखावा बन कर रहे गए हैं। अस्पताल में मरीजों के लिए तमाम सुविधाएं केवल कायाकल्प की टीम या किसी अधिकारी के अस्पताल के निरीक्षण के समय ही उपलब्ध कराई जा रही हैं। शेष दिनों में यहां की व्यवस्थाएं पुराने ढर्रें पर ही बनी हुई हैं।
नही मिली रही चादरें: जिला अस्पताल में मरीजों को समुचित उपचार तो दूर प्रबंधन उन्हें साफ चादरें भी उपलब्ध नही करा पा रहा हैं। गुरूवार को जिला अस्पताल के आइसीयू वार्ड से लेकर जनरल वार्ड तक में भी मरीजों के बैड पर चादरें नही थी। आइसीयू में शांतिबाई प्रजापति को सीने में दर्द की शिकायत पर भर्ती किया गया था। इनके नाति नीरज ने बताया कि पलंग पर काफी गंदी चादर थी। इसलिए उन्होंने उसे हटा दिया हैं। वहीं बीपी की समस्या होने पर आइसीयू में भर्ती हुई इमरत बेगम के परिजनों ने भी यहां की गंदी बेडसीट हटाकर अपने घर की बैडसीट बिछा ली थी। वहीं सर्जिकल वार्ड में भी चादरें गायब थी।
जगह-जगह गंदगी: इसके साथ ही जिला अस्पताल में जगह-जगह गंदगी पसरी हुई हैं। अस्पताल के हर कोने एवं गेट के पास लोगों द्वारा थूके गए गुटखें की पीको से दीवारें और फर्श रंगे पड़े हैं। इसके साथ ही यहां पर लोगों द्वारा खाना खाने के बाद छोड़ी गई सामग्री को भी फैंका गया हैं। इससे जगह-जगह कचरा जमा हुआ हैं। आलम यह हैं कि बच्चा वार्ड के परिसर में बच्चों के खेलने के लिए बने मैदान में भी जगह-जगह गुटखा थूका गया हैं और गंदगी फैली हुई हैं। वहीं सर्जिकल वार्ड में भी डस्टबिन के पास ही जहां कचरा फैला हुआ हैं।
घूम रहे मवेशी: जिला अस्पताल इन दिनों गंदगी के साथ ही आवारा मवेशियों के लिए अभ्यारण बना हुआ हैं। दोपहर के समय ही यहां पर खुले में गाए घूम रही थी। लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नही था। ऐसे में जिला अस्पताल में तैनात किए गए सुरक्षा गार्ड की तैनाती पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अस्पताल में ट्रामा सेंटर से प्रवेश कर गाय सीधे पुरानी बिल्डिंग होते हुए एनआरसी सेंटर तक चली गई और वहीं पर विचरण करती रही।
प्रबंधन के साथ लोग भी लापरवाह: जिला अस्पताल की बेपटरी व्यवस्थाओं के लिए प्रबंधन के साथ ही यहां पर पहुंचने वाले लोग भी जिम्मेदार बने हुए हैं। प्रबंधन की लापरवाही से जहां समय से साफ-सफाई, मरीजों को चादरों सहित तमाम सुविधाएं नही मिल रही हैं, वहीं यहां पर पहुंचने वाले लोग भी गंदगी फैलाने में पीछे नही हैं। जिला अस्पताल में जितनी भी गंदगी थी, उसमे सबसे ज्यादा यहां पर आए लोगों के द्वारा थूके गए गुटखों की थी। वहीं मरीजों के साथ आए परिजन भी कहीं भी थूंकते एवं कचरे फैलाते दिखाई दिए। अस्पताल की सफाई को लेकर यहां पर पहुंचने वाले लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी, तभी यहां की व्यवस्थाएं बेहतर हो सकेंगी।
कहते हैं अधिकारी: मरीजों की बैडसीट प्रतिदिन बदली जाती हैं। साफ-सफाई भी नियमित रूप से की जा रही हैं। अभी मेरे पैर में चोट हैं, इसलिए में नियमित रूप से इसे देख नही पा रहा हूं। यदि ऐसी स्थिति हैं, तो उसे आज ही दुरूस्त कराया जाएगा।- ओपी अनुरागी, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल, टीकमगढ़।