विदित हो कि जिले का नाम सर्वाधिक मलेरिया प्रभावित बाले जिलों में है। पिछले तीन-चार वर्ष से जिले में डेंगू के मरीज भी सामने आ रहे है। सर्वाधिक मलेरिया प्रभावित बाले जिलों में शामिल होने के कारण सरकार द्वारा यहां पर मच्छरदानियों का वितरण भी कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा महिला बाल विकास विभाग के सहयोग से निशुल्क मच्छरदानियां वितरित की जा रही है। सरकार जहां लोगों को मलेरिया से बचाने के लिए करोड़ों रूपए की मच्छरदानियां वितरित कर रही है, वहीं जिन विभागों पर मलेरिया की रोकथाम का जिम्मा है, वह शहर में दवा का छिड़काव भी नही करा पा रहे है।
जगह-जगह जमा हो रहा पानी: शहर में सबसे बड़ी परेशानी घरों से निकलने वाले निस्तार के पानी की निकासी की है। यह समस्या शहर की लगभग हर कॉलोनी में है। पानी निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण कॉलोनियों में खाली पड़े प्लॉटों में निस्तार का पानी जमा हो रहा है। इस पानी में मच्छरों के साथ ही अन्य कीटाणु पैदा हो रहे है। इससे तमाम बीमारियां पैदा हो रही है और लोग परेशान है। लेकिन इस पर किसी का ध्यान नही है।
वर्षों से नही डली दवा: इस मामले में विभाग भले ही हर बार शेड्यूल के अनुसार दवा का छिड़काव करने की बात कह रहा है, लेकिन लोगों की माने तो जाए तो उन्हें याद भी नही कि कभी उनके क्षेत्र में दवाओं का छिड़काव हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया अधिकारी का कहना है कि हर बार तय कार्यक्रम के अनुसार दवाओं का छिड़काव किया जाता है। वहीं नपा भी दवा छिड़काव होने की बात कह रही है। लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
नही हुआ छिड़काव: हमारे यहां एक बड़ा नाला है और पूरे मुहल्ले में नालियां है। इससे निकलने वाला निस्तार का पूरा पानी सैलसागर तालाब में जाता है। लेकिन यहां पर कभी भी दवाओं का छिड़काव नही हुआ है। गर्मियों का मौसम आने से अच्छी खासी मात्रा में मच्छर बड़ गए है।- दीपक यादव, सैलसागर।
मैंने तो नही देखी दवा डलते: हमारे यहां तो कभी भी दवा का छिड़काव नही हुआ है। आप पूरे मुहल्ले में पता कर सकते है। शाम को मच्छरों के कारण बाहर बैठना मुश्किल है। नालियों के साथ ही सामने डलने वाले कचरे में भी मच्छर-मक्खी पैदा हो रहे है। यहां पर किसी ने दवाओं का छिड़काव नही किया है।- पुरूषोत्तम साहू, जयस्तंभ के पास।
दवा होती तो मच्छर क्यों होते: यदि दवा का छिड़काव हो रहा होता तो मच्छर ही क्यों पैदा होते। चार-पांच साल से तो याद ही नही कि दवा का छिड़काव भी हुआ है। गर्मियों में इतने मच्छर बड़ गए है कि दुकान में काम करना मुश्किल होता है।- बसीम खान, कुमैदान मुहल्ला।
कहते है अधिकारी: शहर में नपा और विभाग द्वारा दवा का छिड़काव किया जाता है। अभी चुनाव के कारण इसमें देरी हुई है। हर साल नियमित रूप से दवाओं का छिड़काव होता है। जल्द ही टीमों को रवाना कर दवाओं का छिड़काव कराया जाएगा।- अल्पेश बारिया, जिला मलेरिया अधिकारी।
जल्द ही पूरे शहर में दवाओं का छिड़काव किया जाएगा। एंटी लार्वा वाली सारी दवाएं मंगा ली गई है। जल्द ही हर जगह दवाओं का छिड़काव किया जाएगा।- माधुरी शर्मा, सीएमओ, नगर पालिका, टीकमगढ़।