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टीकमगढ़

दो माह से छात्रावासों में नहीं पहुंची राशि, उधारी में भर रहे पेट

दुकानों से उधार मिलना हुआ बंद, सिलेण्डर और सब्जी को हो रहे परेशान

टीकमगढ़Jan 24, 2020 / 11:49 am

anil rawat

Hostel facing financial crisis

Hostel facing financial crisis

टीकमगढ़. आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। दो माह से राशन सामग्री क्रय करने राशि जारी न होने से यहां पर भोजन व्यवस्था गड़बड़ा गई है। आलम यह है कि जहां राशन दुकानदार जहां उधार राशन देने में आना-कानी करने लगे है, वहीं छात्रावासों में खाना बनाने के लिए सिलेण्डर एवं सब्जी की समस्या खड़ी हो गई है। मामला सामने आने के बाद जहां छात्रावास अधीक्षक मामला दबाने में लगे है, वहीं अधिकारी बजट आवंटन के लिए फाइल चलने की बात कह रहे है।


आदिम जाति कल्याण विभाग की लापरवाही से जिले के सभी छात्रावासों में पिछले दो माह से भोजन की राशि नहीं पहुंच सकी है। आलम यह है कि छात्रावास में रहने वाले छात्रों के भोजन में कटौती शुरू हो गई है। कुछ जगहों पर तो छात्र अपने घरों से खाना बनवाना कर मंगाने लगे है। दो माह से राशि न मिलने के कारण सभी परेशान है, लेकिन अधिकारियों के भय के चलते कोई भी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। मामला सामने आने के बाद अधिकारी फाइल चलने की बात कह रहे है, लेकिन राशि अब तक क्यों नहीं आई है और कब तक आएंगी इसका कोई सही जबाव नहीं दे रहे है।

 

यह है स्थिति: आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा जिले में 46 छात्रावास संचालित किए जा रहे है। इन छात्रावासों में लगभग 2300 छात्र-छात्राएं रह कर पढ़ाई कर रहे है। इन छात्र-छात्राओं को यही खाने की सुविधा दी जाती है। प्रत्येक छात्र के हिसाब से शासन द्वारा 1107 रुपए भेजे जाते है। इस हिसाब से पिछले दो माह के लगभग 50 लाख रुपए छात्रावासों को नहीं दिए गए है। ऐसे में छात्रावासों की माली हालत खराब बनी हुई है।


सिलेण्डर-सब्जी की समस्या: दो माह से राशि न मिलने से छात्रावासों की व्यवस्थाएं चरमरा गई है। कुछ छात्रावासों के अधीक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दो माह में राशन दुकानों पर 50 से 60 हजार रुपए की उधारी हो गई है। अब वह भी सामान देने में आनाकानी करने लगे है। इन लोगों का कहना था कि राशन की व्यवस्था तो जैसे-तैसे उधारी में कर लेंगे, लेकिन सबसे ज्यादा समस्या सिलेण्डर और सब्जी को लेकर आ रही है। यह चीजे उधार नहीं मिल रही है।


घरों से मंगा रहे खाना: कुछ जगहों पर छात्रावासों की हालत ऐसी हो गई है कि वहां पर खाने-पीने में कटौती शुरू हो गई है। ऐसे में जिन छात्रों के गांव पास में है, वह अपने घरों से खाना मंगा रहे है। छात्रावासों की व्यवस्था बिगडऩे पर छात्र परेशान है। लेकिन वह भी कुछ भी खुल कर नहीं कह पा रहे है।


कहते है अधिकारी: छात्रावासों के संबंध में कुछ जानकारियां मांगी गई है। छात्रावासों के लिए भोजन की राशि के लिए फाइल आगे बढ़ाई गई है। जैसे ही बजट का आवंटन होता है, छात्रावासों को राशि उपलब्ध करा दी जाएगी।- एमए सिद्दीकी, जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण विभाग।

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