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चंदेरा गांव के देशी पान की पडोसी देशों में भी रही मांग

locationटीकमगढ़Published: May 25, 2023 07:51:45 pm

Submitted by:

akhilesh lodhi

बुंदेलखंड में जिस देशी पान की मिठास के कायल मुम्बई, लखनऊ, दिल्ली, नेपाल, पाकिस्तान और कई महानगर हुआ करते थे। उसकी खेती अब शासन प्रशासन की अनदेखी से विलुप्ति की कगार पर है।

 If the government did not help, the number of farmers reduced to 45 out of 250
If the government did not help, the number of farmers reduced to 45 out of 250

टीकमगढ़.बुंदेलखंड में जिस देशी पान की मिठास के कायल मुम्बई, लखनऊ, दिल्ली, नेपाल, पाकिस्तान और कई महानगर हुआ करते थे। उसकी खेती अब शासन प्रशासन की अनदेखी से विलुप्ति की कगार पर है। हम बात कर रहे हैं टीकमगढ़ जिला की ग्राम पंचायत चंदेरा के पान की। गांव में २५० के लगभग किसान पहले कभी पान की खेती किया करते थे। अब उनकी संख्या ४५ के करीब रह गई है। रोजी रोटी और भरण-पोषण के लिए गेहूं की खेती करने को मजबूर हैं।
देश और बुंदेलखंड में पान खाने की परंपरा मुगल काल से चली आ रही है। टीकमगढ़ जिले के चंदेरा में पीडिय़ों से यहां रहने वाला चौरसिया समाज पान की खेती करता रहा है। महंगाई अधिक होने से और पान के पत्ते का दाम सही नहीं मिलने, क्षेत्र का जलस्तर नीचे होने, शासन की बेरुखी के चलते इस खेती से अब किसानों का मोह भंग हो चुका है। चंदेरा छोड़ मडिया, जतारा, पलेरा, बल्देवगढ़ में पान की खेती करना किसानों ने बंद कर दिया है।
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