उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ड्यूटी से नाम कटवाने के लिए शारीरिक अक्षमता के बहाने की पड़ताल कराएगा। मेडिकल रिपोर्ट मांगी जाएगी, वहीं असक्षमता पाए जाने पर कर्मचारी शासकीय सेवा करने योग्य है या नहीं इस पर निर्णय लेते हुए सेवा भी समाप्ति की जा सकती है। अग्रवाल का कहना था कि देखा गया है, कि कुछ कर्मचारी और अधिकारी निर्वाचन दायित्व से अपने को अलग रखने का प्रयास करते हैं।
जिसका आधार चिकित्सा प्रमाण-पत्र लिया जाता है। इस तरह के अधिकारी और कर्मचारियों का प्रत्यक्ष रूप से समर्थन नहीं किया जाना है। इसके साथ ही यदि कोई अधिकारी,कर्मचारी वास्तविक रूप से अस्वस्थ्य है, तो उसे कुछेक समय के लिए चिकित्सा प्रमाण पत्र तो दिया जा सकता है, किन्तु उसे मेडिकल बोर्ड का प्रमाण-पत्र भी प्रस्तुत करना पड़ेगा।
आदेश में कहा गया है कि विषम परिस्थितियों को छोड़ कर अनावश्यक रूप से चिकित्सा प्रमाण-पत्र जारी नहीं किए जाएं अन्यथा निर्वाचन कार्य प्रभावित होगा। किसी भी डॉक्टर के द्वारा प्रमाण-पत्र जारी करने के पूर्व इलाज के सहपत्रों की नस्ती सीएमएचओ और अपने कार्यालय में उपलब्ध रखना सुनिश्चित करें ।
अनावश्यक रूप से चिकित्सा प्रमाण-पत्र जारी किया जाना पाया जाता है, तो संबंधित के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि अब ऐसे सभी प्रकरणों में मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट ली जाएगी। इसके बाद यह देखा जाएगा कि वे शासकीय सेवा करने योग्य है या नहीं। ऐसे बोर्ड के परामर्श के आधार पर गुण-दोषों को देखते हुए दीर्घकालीन निर्णय जैसे सेवा समाप्त करने की अनुशंसा भी की जा सकती है।
आयोग द्वारा जारी टोल नंबर पर दर्ज होंगी चुनावी शिकायतें
निर्वाचन आयोग में विधानसभा निर्वाचन 2018 से संबंधित शिकायतों को आयोग तक पहुंचाने के लिए 1950 टोल फ ्री नंबर जारी किया है।कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी अभिजीत अग्रवाल ने बताया कि इस नंबर पर विधानसभा निर्वाचन 2018 से संबंधित शिकायतें दर्ज की जा सकती है। आम जनता जो भी निर्वाचन से संबंधित किसी भी विषय में शिकायत दर्ज करना चाहता है तो वे निर्वाचन आयोग के टोल फ ्री नंबर 1950 पर शिकायत दर्ज कर सकते है।