यह है मुख्य बसेरा: जिले में गिद्धों को सबसे अनुकूल वातावरण ओरछा में मिला है। यहां पर सभी प्राचीन स्मारकों में गिद्धों के बसेरे पाए गए है। यहां प चतुर्भुज मंदिर, बेतवा नदी के तट पर बनी प्राचीन छतरियां, लक्ष्मी मंदिर, जहांगीर महल एवं वन परिक्षेत्र में गिद्धों के बसेरे पाए गए है। ओरछा में 23 स्थानों पर गिद्धों के घोंसले मिले है तो 10 भंवरे भी मिले है।
गिद्धों की संख्या में इजाफा खुशी की बात: गिद्धों की गणना के बाद इनकी संख्या में हुई बड़ोत्तरी के बाद डीएफओ चंदशेखर सिंह का कहना है कि जिले के लिए अच्छी बात है कि इनकी संख्या में बड़ोत्तरी हो रही है। उनका कहना है कि गिद्ध वर्तमान में विलुप्त हो रहे प्राणियों की श्रेणी में है। ऐसे में इनकी जिले में संख्या बढऩा हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। उनका कहना है कि अभी मई में दूसरे चरण की गणना होगी। इसमें इनकी संख्या में और इजाफा होगा।
एक मृत गिद्ध भी मिला: गिद्धों की गणना के दौरान ओरछा में एक मृत गिद्ध भी मिला है। इस गिद्ध को वन अमले ने जब्त कर लिया है। दिलशेर खान ने बताया कि इसे पीएम के लिए पूना भेजा जाएगा। उनका कहना है कि ओरछा से लगे उत्तर प्रदेश के बार्डर पर मवेशियों को डिक्लोफेनिक दिया जाता है। संभावना है कि ऐसे ही मवेशी को खाने के बाद इसकी मौत हुई होगी।
250 कर्मचारी थे तैनात: शनिवार को पूरे प्रदेश में एक साथ गिद्धों की गणना की गई। इस गणना के लिए वन विभाग द्वारा जिले के पांच रेज एरिया में गणना कार्य किया गया था। इस गणना में 250 कर्मचारियों को तैनात किया गया था। विदित हो कि पूरे प्रदेश में एक साथ, एक समय पर यह गणना की गई थी। गिद्धों का संरक्षण करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा लंबे समय से प्रयास किए जा रहे है।