पति को भी दिलाया रोजगार, खुद चला रही दुकान: ऐसी ही कुछ कहानी है जतारा विकासखण्ड के ग्राम बराना निवासी सबाना बानो की। शादी के बाद तीन बच्चें होने एवं पति अकबर के पास कोई आय का जरिया न होने से सबाना परेशान रहती थी। परिवार चलाने एवं बच्चों की परवरिश की चिंता में परेशान हो रही सबाना का सहारा भी आजीविका मिशन मिला। आर्थिक तंगी से परेशान सबाना ने खुद महिलाओं को जोड़कर समूह बनाया और तंगी के बाद जैसे-तैसे बचत कर समूह को खड़ा किया। समूह में पैसा आने पर सबाना ने 30 हजार रूपए का ऋण लेकर मनहारी की दुकान खोल ली। कहते है जहां चाह, वहां राह, सबाना की यह दुकान चल निकली तो उसने यह ऋण चुकता कर दूसरा ऋण लिया और अपने पति को भी कपड़े का काम करने के लिए तैयार किया। आज सबाना जहां गांव में मनहारी की दुकान और कपड़े सिलने का काम करती है, वहीं उनके पति अकबर साईकिल से बच्चों के कपड़े लेकर आसपास के गांव में जाकर उसे बेचते है। अब परिवार में किसी प्रकार की आर्थिक परेशानी नही है। दोनो मिलकर 12 से 15 हजार रूपए महिने की आय कमा रहे है। इन महिलाओं की दृढ़ इच्छा शक्ति और अपने परिवार का संबल बनने की हर कोई तारीफ कर रहा है। आजीविका मिशन की जिला परियोजना प्रबंधक अपर्णा सौनकिया का कहना है कि बुंदेखलण्ड की महिलाओं में काम करने का जबरदस्त जज्बा है। मिशन से जुड़कर सबाना और रानी आज महिलाओं के लिए प्रेरणा श्रोत के रूप में काम कर रही है। वहीं जिला प्रबंधक सौरभ खरे का कहना है कि मिशन से जुड़कर आगे बड़ रही महिलाएं यहां के लोगों की मानसिकता में खासा बदलाव ला रही है। आज ग्रामीण क्षेत्रों की अनेक महिलाएं अब घरों से बाहर निकल कर अपने परिवार का सहारा बन रही है।