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चातुर्मास की हुई मंगल कलश स्थापना, बालिकाओं द्वारा किया गया मंगलाचरण

locationटीकमगढ़Published: Jul 22, 2019 09:14:08 pm

Submitted by:

akhilesh lodhi

जिले में बंधाजी में पहली बार ९ आर्यिकाओं को चातुमार्स आयाजित किया गया। कार्यक्रम में कलश स्थापना की गई। भगवान का अभिषेक पूजन कर शांतिधारा के साथ ध्वाजारोहण किया गया।

Invocation of girl child

Invocation of girl child

टीकमगढ़.जिले में बंधाजी में पहली बार ९ आर्यिकाओं को चातुमार्स आयाजित किया गया। कार्यक्रम में कलश स्थापना की गई। भगवान का अभिषेक पूजन कर शांतिधारा के साथ ध्वाजारोहण किया गया। इसके साथ प्रर्वचन आयोजित किए गए। वहीं कमेटी द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए गए।
अतिशय क्षेत्र बंधाजी में इतिहास का पहला अवसर था। जब एक साथ 9 आर्यिकाओं का चातुर्मास के साथ मंगल कलश स्थापना हुई। रविवार की सुबह 6. 30 भगवान का अभिषेक पूजन और शांति धारा की गई। इसके बाद मदन लाल द्वारा ध्वजारोहण किया गया। यह कार्य मंदिर मेंं ही संपन्न हुआ। सुबह 10 बजे माताजी संघ की आहार चर्या संपन्न हुई। बंधा कमेटी के निमंत्रण पर माता के आशीर्वाद से प्रतिभास्थली की ब्रह्मचारी दीदी अतिशय क्षेत्र बंधा में पहुंची। दोपहर 1 बजे से माताजी संघ का चातुर्मास मंगल कलश स्थापन का कार्यक्रम शुरू किया गया। वेदी मैदान में नवनिर्मित आचार्य विद्यासागर रजत सभागार में शुरू हुआ। दुर्लभ मति माताजी,अमूर्त मति माताजी, अमंदमति माताजी, अभेद मति माताजी ,स्वेत मति माताजी, गंतव्य मति माताजी, विनीत मति माताजी, विदेह मति माताजी और अदूर मति माताजी शामिल है।
बालिका मंडल द्वारा किया गया मंगलाचरण
प्रदीप जैन ने बताया बंधा जी के कार्यक्रम में बालिका मंडल द्वारा मंगलाचरण किया गया। छोटी-छोटी बालिकाओं द्वारा मंगलाचरण के माध्यम से शानदार नृत्य की प्रस्तुति दी गई। आचार्य भगवन विद्यासागर महाराज की भक्तों द्वारा विशेष पूजन की गई। अतिशय क्षेत्र बंधाजी के सभी ट्रस्टी कमेटी और पदाधिकारीगण द्वारा आचार्यश्री का पूजन किए गए। कलश स्थापना के अवसर पर माताजी ने कहा कि जैन धर्म में चातुर्मास सामूहिक वर्षायोग या चौमासा के रूप में भी जाना जाता है। यह चातुर्मास 4 माह का होता है। जैन साधु-संत जनकल्याण भावना को साकार करते हुए और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए पूरे वर्ष एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते रहते हैं।

अहिंसा और जीवों पर दया को ही जैन धर्म का आधार
महावीर का संदेश जियो और जीने दो, यही सारे धर्मों की सार्थकता होनी चाहिए। ऐसे में जैन मुनि एवं साध्वी इस चातुर्मास में एक जगह रुककर लोगों को सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य आदि विषयों पर सद्ज्ञान देते हैं। बाहर से आने वाले अतिथियों के लिए आवास एवं भोजन की व्यवस्था कमेटी द्वारा रखी गई । इंदौर शहर से माताजी के सैकड़ों भक्त बंधाजी आए हुए है।
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