मोहित को पहली ही बार में मिली सफलता: भिंड जिले के जम्हौरा गांव से आए मोहित पुत्र रामवीर सिंह 20 वर्ष अपने परिवार की इकलौती संतान है। मोहित के पिता बहुत पहले दुनिया छोड़कर जा चुके है। उनके ताऊ लक्ष्मन सिंह ने उनका पालन-पोषण किया है। मां की एक मात्र उम्मीद मोहित ही है। मोहित के मन में शुरू से ही आर्मी की नौकरी करने का विचार चल रहा था। अकेला होने के कारण परिजन नही चाहते थे, कि मोहित इस ओर जाए। लेकिन मोहित की जिद के आगे जहां परिजनों को उसकी बात माननी पड़ी, वहीं मोहित ने पहले ही प्रयास में सफलता भी हासिल कर ली है। उसने आर्मी के सारे फिजिकल टेस्ट पूरे कर लिए है। आज उसका मेडीकल टेस्ट होना है। मोहित अपनी इस सफलता से खासा खुश है। कहता है कि देश सेवा के लिए इससे अच्छा कुछ नही हो सकता है।
तीसरे बार दौड़ेगा साढ़े 19 साल का नीरज: वहीं ग्वालियर में रहने वाला साढ़े 19 साल का नीरज देश सेवा के लिए तीसरी बार प्रयास कर रहा है। वह 17 वर्ष 6 माह की उम्र से आर्मी में भर्ती होने का प्रयास कर रहा है। नीरज भी अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। 72 बीघा जमीन के मालिक मोहित के मन में भी देश सेवा का ऐसा जज्बा भरा है कि वह परिजनों के लाख समझाने के बाद भी आर्मी को ही अपना लक्ष्य बनाए हुए है। नीरज सिंह का कहना है कि उसने आर्मी के लिए अपना टेस्ट 17 साल 6 माह की उम्र में सागर में दिया था। वहां सफलता न मिलने पर 18.6 वर्ष की उम्र में गुना में प्रयास किया। वहां भी असफलता हाथ लगी, लेकिन जज्बा बरकरार रहा। नीरज 19.6 वर्ष की उम्र में तीसरी बार सेना की भर्ती के लिए आया है। नीरज का कहना है कि नौकरी करेगा तो सेना की। उसका कहना है कि इस बार उसने पूरी जोरों से तैयारी की है।
घर की जिम्मेदारी के साथ देश सेवा का जज्बा: वहीं भिंड के जम्हौरा से आए राजू पुत्र बम्हलाल सिंह भी देश सेवा के ऐसे ही जज्बे से लबरेज है। उन्हें भी अपने पहले ही प्रयास में सफलता मिली है। आज इनका भी मेडिकल टेस्ट होना है। राजू सिंह का कहना है कि वह दो भाई है। परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नही है। उनके सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारी जहां अपने परिवार को आर्थिक संबल देने की थी, वहीं मन में देश सेवा भी कुलांचे मारती थी। टीकमगढ़ में उनकी जिद भी जीत गई। आज हुई दौड़ में वह फर्राटा लगाकर देश सेवा के लिए आगे निकल गए। फोन पर जब परिजनों को सूचना दी तो सभी खुश हो गए। राजू भी अपनी इस सफलता से काफी खुश है। राजू का कहना है कि अब वह मन से देश की सेवा कर सकेगा और परिवार को भी सहारा मिलेगा।