टीकमगढ़

बुंदेलखंड के इस जिले की 16 लाख की आबादी का स्वास्थ्य पांच विशेषज्ञों के भरोसे

स्वास्थ्य के लिए आज भी पिछड़ा है जिला

टीकमगढ़Apr 08, 2019 / 06:12 pm

vivek gupta

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टीकमगढ़. ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहरों को संजोए टीकमगढ़ का आजादी के ७२ साल बाद भी इलाज के लिए महरू म है। आधुनिक होते भारत में मानवता को बनाए रखने के लिए पहली प्राथमिकता बेहतर स्वास्थ्य के मामले में टीकमगढ़ लोकसभा अछूती है। भले ही राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़कर संसद जाने का मौका नेताओं को मिला हो, लेकिन इसे जनप्रतिनिधियों की इच्छाशक्ति कहें या कमजोरी कि जिले से दो केन्द्रीय मंत्री होने और पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के प्रभारी होने के बाद भी स्वास्थ्य के मामले में कोई सुधार नहीं हुआ। लोकसभा क्षेत्र से प्रदेश की नई कांग्रेस सरकार में भी वाणिज्यिक कर मंत्री है, लेकिन तीन माह में उन्होंने भी स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया। 1952 में टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद पिछले 6 7 वर्षों में जितने भी सांसद चुने गए है। किसी ने भी जिला अस्पताल में डॉक्टरो की कमी को पूरा नही किया। खास बात है कि टीकमगढ़ लोकसभा के छतरपुर जिला अस्पताल में न केवल डॉक्टर पर्याप्त है, बल्कि अब तो मेडिकल कॉलेज भी खोला जा रहा है।
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बच्चे भी सुरक्षित नहीं
विदित हो कि सुविधाओं के नाम पर जिला अस्पताल में एसएनसीयू भी स्थापित किया गया है। लेकिन पिछले 3 वर्ष में यहां भी 5 दर्जन से अधिक बच्चों की समुचित उपचार न मिलने के कारण मौत हो चुकी है। 3 वर्षों में हुई इन मौतों के लिए भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी होना एक कारण बताया जा रहा है। आलम यह है कि डॉक्टरों सहित तमाम सुविधाओं के अभाव के बाद भी दो वर्ष पहले कायाकल्प में जिला चिकित्सालय को पहला स्थान दिया गया था। कायाकल्प में आए पहले स्थान को लेकर यहां पर हुए काम के बाद जिला अस्पताल की साफ-सफाई सहित कुछ मामलों में स्थिति को सुधरी है, लेकिन डॉक्टरों की कमी के चलते यह सब बेकार दिखाई दे रहा है।
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मशीनें हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं
लगभग तीन वर्ष पूर्व तत्कालीन गृह मंत्री भूपेन्द्र सिंह द्वारा जिले के ट्रामा सेंटर का उदघाटन किया गया था। लगभग 4 करोड़ की लागत से इस ट्रामा सेंटर का उद्घाटन तो कर दिया है, लेकिन न तो यहां पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की पदस्थापना की गई है न ही ट्रामा जैसी कोई सुविधाएं दी गई है। विदित हो कि ट्रामा सेंटर का हेड अस्थि रोग विशेषज्ञ और सर्जन होता है, लेकिन जिला अस्पताल सहित ट्रामा सेंटर भी इनके पद खाली बने हुए है। ट्रामा सेंटर में सीटी स्केन, सीआर मशीन सहित ऑपरेशन के लिए आवश्यक अन्य सामान की कमी बनी हुई है। आलम यह है कि ट्रामा सेंटर होने के बाद भी जिले में एक सर्वसुविधा युक्त एंबुलेंस भी नही है, जिससे गंभीर मरीजों को सुरक्षित तरीके से दूसरे मेडीकल कॉलेज भेजा जा सके।

स्वास्थ्य मंत्री नहीं दिला सके एक डॉक्टर
जिले में विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का, स्वास्थ्य सेवा एक प्रमुख मुद्दा रहा है। चुनाव के पहले जनता से वादे करने वाले डॉक्टरों की तैनाती में अक्षम दिखे। खास बात है कि सरकारी के अलावा कोई निजी अस्पताल ऐसा नहीं, जिसमें मरीजो की जान बचाने के संसाधन मौजूद हो। टीकमगढ़ गृह नगर होने के नाते केन्द्र में मंत्री रहने के साथ प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं उमा भारती, टीकमगढ़ से दो बार के सांसद और केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कुछ खास नहीं कर सके। प्रदेश की भाजपा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे रुस्तम सिंह टीकमगढ़ जिले के करीब १ वर्ष तक प्रभारी रहने के बाद एक डॉक्टर भी जिला अस्पताल को नहीं दिला सके। अब प्रदेश की सरकार में वाणिज्यकर मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर हैं, लेकिन सरकार के तीन माह के कार्यकाल में वह केवल निवाड़ी और पृथ्वीपुर तक ही सक्रिय है। जिले की स्वास्थ्य सेवा अधिकारियो की मनमर्जी से चल रही है।

165 पदों में से 100 खाली
जिले के लिए स्वीकृत 165 डॉक्टरों में से 100 पद खाली पड़े हुए है। इसमें भी विशेषज्ञ डॉक्टरों का तो जैसे जिले में अकाल छाया हुआ है। विशेषज्ञ डॉक्टरों के 55 में से 50 पद खाली बने हुए हैं। विदित हो कि जिले की 16 लाख आवादी का दारोमदार महज 5 विशेषज्ञ डॉक्टरों के ऊपर बना हुआ है। जिला अस्पताल सहित जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे है लेकिन इन पर किसी का ध्यान नहीं है। शासन द्वारा जिले में 55 विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद स्वीकृत किए गए है, लेकिन वर्तमान में जिले में महज 5 विशेषज्ञ ही पदस्थ है। यही हाल मेडिकल ऑफिसर का है। मेडिकल ऑफिसर के 100 पदों में से 55 खाली पड़े हुए है। कांटे्रक्ट मेडिकल ऑफिसरों के स्वीकृत 10 में सभी पद भरे हुए है। वहीं स्टॉफ नर्स की हालत भी जिले में खराब बनी हुई है। स्टॉफ नर्स के स्वीकृत 70 पदों में से 43 ही उपलब्ध है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भी बेहाल

डॉक्टरों की कमी केवल जिला चिकित्सालय में नहीं पूरे जिले में बनी हुई है। बड़ागांव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में कुल 5 डॉक्टरों के पद है, लेकिन महज 2 डॉक्टर ही है। यही हाल पलेरा का है। यहां पर 6 में से 2, बल्देवगढ़ में 4 में से 2, खरगापुर में 4 में 1, पृथ्वीपुर में 6 में 2 डॉक्टर ही पदस्थ है। यही हाल जिले के निवाड़ी एवं खरगापुर स्वास्थ्य केन्द्र का है।

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