बुधवार को कायाकल्प के राज्य स्तरीय प्रभारी डॉ अरूण देव शर्मा एवं मेटरिन सेवा गोपे और सुनीता धुर्वे की टीम ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। सुबह 11.30 बजे के लगभग जिला अस्पताल में पहुंची इस टीम ने ऑपरेशन थियेटर से अपना निरीक्षण प्रारंभ किया। टीम ने ओटी के बाद अल्ट्रासाउण्ड मशीन, पोषण पुर्नवास केन्द्र, बच्चा वार्ड, सर्जीकल-मेडीकल वार्ड, आइसीयू, ओपीडी, दवाएं वितरण केन्द्र एवं मिनि ओटी देखी। इसके बाद टीम ने सिविल सर्जन कक्ष में रिकार्ड की जांच की और अधिकारियों से आवश्यक चर्चा की।
कैसे करते है डस्टबिन का उपयोग: वार्ड एवं ओटी में पहुंची टीम ने यहां पर नर्सिंग स्टॉफ से चर्चा की। उन्होंने नर्सों से पूछा कि वार्ड में रखे नीले, लाल एवं काले डस्टबिल का कैसे उपयोग करते है। किस डस्टबिन में नुकीले सामान, किस डस्टबिन में पट्टी आदि डाली जाती है। उन्होंने नर्सिंग स्टॉफ से सिरिंज को डिस्पोजल करने का भी तरीका पूरा।
कैसे लगाते है पोंछा: निरीक्षण कर रही टीम को पोषण पुर्नवास केन्द्र में महिला कर्मचारी सफाई करते दिखी। वह तीन बाल्टियों में अलग-अलग पानी से सफाई तो कर रही थी, लेकिन ग्लब्ज नहीं पहने थी। इस पर डॉ अरूणदेव शर्मा ने उससे पूछा कि ग्लब्ज कहा है। कर्मचारी ने बताया ग्लब्ज निकाल कर दिखाए और कहा कि वह पहन नहीं पाई थी। इस पर उन्होंने सफाई के समय हमेशा ग्लब्ज का उपयोग करने की बात कहीं।
किस-किस के पर्चे फ्री बनाते हो: वहीं ओपीडी का निरीक्षण करने पहुंची टीम ने यहां पर काम कर रहे ओपीडी इंचार्ज अजय प्रजापति से पूछा फ्री पर्चा किस-किस का बनाया जाता है। इस पर उन्होंने बीपीएल कार्ड, मजदूरी कार्डधारियों, एसएनसीयू में आने वाले बच्चों के पर्चे फ्री बनाते है। टीम ने पूछा कि डिलिवरी और दीनदयाल के पर्चे फ्री बनते है कि नहीं। इस पर उन्होंने कहा कि यह पर्चे भी फ्री बनाए जाते है। उन्होंने ओपीडी के बाहर फ्री पर्चा वाली योजनाओं की लिस्ट चस्पा करने की बात कही।
ली दवाओं की जानकारी: इसके साथ ही टीम ने दवा वितरण केन्द्र का निरीक्षण किया। यहां पर उपस्थित फार्मासिस्ट से उपलब्ध दवाओं की जानकारी ली। वहीं इस मौसम में लगने वाली दवाओं के बारे में पूछा। इसके साथ ही आइसीयू का निरीक्षण किया। आइसीयू के बाजू में खाली पड़े दूसरे कक्ष की जानकारी भी ली। वहीं उन्होंने सिविल सर्जन कक्ष के ऊपर उखड़ रही सीलिंग को भी दुरूस्त कराने की बात कहीं।
मरीजो की उमड़ी भीड़: वहीं निरीक्षण के समय जिला अस्पताल में मरीजों की भीड़ लगी हुई थी। आलम यह था कि डॉक्टरों के ऊपर मरीज लदे हुए थे और डॉक्टर दिखाई भी नहीं दे रहे थे। डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पताल पर टीम ने किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया।