एक साल से राशन दुकानों पर नहीं पहुंचा केरोसिन
टीकमगढ़Published: Feb 20, 2023 07:52:07 pm
जिले में ३५7 के करीब राशन की दुकानें संचालित हो रही है। उनके लिए भोपाल स्तर से हर महीना केरोसिन(मिट्टी का तेल) का आवंटन हो रहा है, लेकिन जिले में एक साल से केरोसिन दुकानों पर नहीं पहुंचा है। जबकि डिपो पर केरोसिन१०४ रुपए प्रति लीटर है। जिसके कारण उठाव डीलरों ने केरोसिन का उठाव बंद कर दिया है और उसके लिए सैकड़ों उपभोक्ताओं ने सीएम हेल्प लगाई है।


Kerosene kerosene is costlier than diesel, while kerosene is being allocated every month from Bhopal level
टीकमगढ़. जिले में ३५7 के करीब राशन की दुकानें संचालित हो रही है। उनके लिए भोपाल स्तर से हर महीना केरोसिन(मिट्टी का तेल) का आवंटन हो रहा है, लेकिन जिले में एक साल से केरोसिन दुकानों पर नहीं पहुंचा है। जबकि डिपो पर केरोसिन१०४ रुपए प्रति लीटर है। जिसके कारण उठाव डीलरों ने केरोसिन का उठाव बंद कर दिया है और उसके लिए सैकड़ों उपभोक्ताओं ने सीएम हेल्प लगाई है। उपभोक्ता केरोसिन का इंतजार कर रहे है। अधिकारियों का कहना है कि केरोसिन के दाम आसमान पर हैं। महंगा होने कारण लोग उसे खरीद नहीं रहे है। इसलिए उठाना बंद कर दिया है।
राशन कार्ड परिवारों ने बताया कि महंगाई की मार अब अति गरीब परिवारों के घर तक पहुंच गई है। गरीबों का ईधन माना जाने वाला केरोसिन (मिट्टी का तेल) अब डीजल से महंगा हो गया है। टीकमगढ़ में डीजल के दाम 9४. ६४ रुपए लीटर है तो राशन की दुकानों पर केरोसिन १०४ रुपए चल रहा है।
एक साल से डीलर ने केरोसिन का नहीं किया उठाव
जिले में ३५7 राशन दुकानों पर मार्च से अब तक केरोसिन नहीं पहुंचा है, लेकिन जिले की ऐसी सैकड़ों राशन दुकानें है, जिन पर एक साल से केरोसिन (मिट्टी का तेल) नहीं पहुंचा है। जिले में डीलर की माने तो पूरा केरोसिन का व्यापार खत्म हो गया है। इसका प्रमुख कारण है कि इसका सबसे अधिक उपयोग ग्रामीण अतिगरीब लोगों द्वारा ही किया जाता है। महंगाई होने से खरीद भी कम कर दी गई है।
सब्सिडी का नहीं है प्रावधान, लगातार बढ़ रही दरें
वर्ष २०२१-२२ में केंद्र के बजट में केरोसिन पर सब्सिडी का प्रावधान नहीं था। एक अप्रेल २०२१ से सब्सिडी नहीं मिलने से केरोसिन की दरें लगातार बढ़ रही है। बढ़ती कीमतों के फेर में पहले कालाबाजारी करने वाले डीलरों की दुकानें भी बंद हो गई है। व्यापारियों ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय दाम बढऩे से बाजार में कीमतें बढ़ गई है।