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जान बचाने घर लौटे थे अब पेट के लिए फिर जोखिम में डाल रहे जान

locationटीकमगढ़Published: Jul 11, 2020 11:32:02 am

Submitted by:

anil rawat

हम तो चले परदेश: शुरू हुआ मजदूरों का पलायन

Labor exodus started

Labor exodus started

टीकमगढ़/पलेरा. कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन के बाद अपनी जान बचाने के लिए तमाम परेशानियां झेलकर अपने घरों को पहुंचे मजदूर एक बार फिर से पेट पालने के लिए जान का जोखिम उठा रहे है। अनलॉक होने के साथ ही काम की तलाश में मजदूरों ने फिर से महानगरों का रूख कर लिया है। पलेरा ब्लॉक में मजदूरों ने दिल्ली, हरियाणा, नोयडा सहित अन्य महानगरों का रूख कर लिया है।


शासन-प्रशासन मजदूरों को रोजगार दिलाने का कितना भी दंभ क्यों न भर रही हो, लेकिन हालात बिलकुल भी अलग है। काम न मिलने के कारण अपने परिवार का पेट पालने के लिए कोरोना संक्रमण के बीच मजदूरों ने फिर से महानगरों को जाना शुरू कर दिया है। दिल्ली से बड़ामलहरा तक जा रही बस में प्रतिदिन दर्जनों मजदूर रोजगार के लिए जा रहे है। इन सभी की एक ही दलील है कि जब काम नहीं मिल रहा है, तो यहां क्या करेंगे। पेट भरने के लिए काम तो करना ही है। विदित हो कि काम की चाह और पेट की आग ने इन मजदूरों द्वारा दो माह पूर्व उठाए गए तमाम कष्टों को भुला दिया है।

 

पेट के उठा रहे जोखिम
पलायन कर दिल्ली जा रहे पलेरा ब्लॉक के भगवंतनगर की मैंदाबाई का कहना था कि यहां काम नहीं है। कार्ड पर राशन भी नहीं मिल रहा है। सरपंच ने शौचालय की राशि का भी भुगतान नहीं किया है। जब कुछ मिल ही रही रहा है तो पेट कहां से भरेंंगे। अब कोरोना हो या कुछ हो, काम तो करना है। वहां से काम के लिए फोन आ रहे है और यहां पर मांगने से काम नहीं मिल रहा है। यही समस्या ग्राम गोरा, धनेरा, सैपुरा एवं लारौन से जाने वाले मजदूर बता रहे है।


प्रतिदिन हो रहा पलायन
विदित हो कि पिछले चार-पांच दिनों से पलायन का यह सिलसिला लगातार जारी बना हुआ है। सूत्रों की माने तो इस बस में केवल मजदूर ही सफर कर रहे है। पलेरा के ही रामकुमार का कहना है कि जान बचाने के लिए घर आए थे अब पेट के फिर से जा रहे है। यहां पर कोई काम नहीं है। पंचायत में भी एक ही व्यक्ति को काम दिया जा रहा है। उससे परिवार कैसे चलेगा। खतरा यहां भी है और वहां भी है। अब जो होगा सो देखा जाएगा। इन बसों की बुकिंग करने वाले एजेंट की माने तो पिछले दो दिनों में लगभग 110 सवारियां दिल्ली के लिए गई है। शनिवार को ही 60 लोगों ने दिल्ली के लिए बुकिंग कराई थी।


मशीनें कर रही काम
विदित हो कि मनरेगा मे मजदूरों के लिए काम खुलने के साथ ही मशीनों से काम होने की शिकायतें आनी शुरू हो गई थी। जिले में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शुरू से ही सरपंच, सचिव और उपयंत्रियों के लिए मुनाफे की योजना साबित होती रही है। इस संकट की घड़ी में उम्मीद थी कि शायद अब ही यह लोग मजदूरों का दुख समझेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और योजना मे चल रही लापरवाहीं अब पलायन के रुप में सामने आने लगी है। ऐसे में योजना में खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपए की उपयोगिता पर भी सवाल खड़े होने लगे है।

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