टीकमगढ़

आतिशबाजी दुकानें लगाने के लिए शुरू हुई तैयारी

दीपोत्सव के लिए तीन शेष है। पटाखों की दुकाने लगाने के लिए ढोंगा मैदान में लगाने की तैयारी की जा रही है।

टीकमगढ़Oct 23, 2019 / 07:49 pm

akhilesh lodhi

License shops will be set up near Dhonga Maidan


टीकमगढ़.दीपोत्सव के लिए तीन शेष है। पटाखों की दुकाने लगाने के लिए ढोंगा मैदान में लगाने की तैयारी की जा रही है। नगरपालिका द्वारा वहां बुधवार को साफ-सफाई की गई है। वहीं आतिशबाजा दुकानों को संचालित करने के लिए लाइसेंस फार्मों को जमा किया गया है। जहां लायसेंस शस्त्र शाखा प्रभारी द्वारा इन फार्मो को एसपी के पास भेजा गया है। वहीं कलेक्टर ने पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर आतिशबाजी कम करने और स्वच्छता बनाने की बात की गई। इसके साथ ही 125 डीबी (एआई) और 145 डीबी (सी) से अधिक ध्वनि वाले पटाखों का विनिर्माण, विक्रय पर प्रतिबंध कर दिया है। जिसकी जांच के लिए टीमें बनाई गई है।
दीपोत्सव पर होने वाली आतिशबाजी को लेकर हर कोई उत्साहित दिखाई देता है। दीपोत्सव शुरू होने में अभी भले ही तीन दिन शेष है, लेकिन हर गली मोहल्लों से पटाखों और रंगी आतिशबाजी के नजारे देखने को मिलने लगे है। वहीं इस पर्व पर आतिशबाजी की बिक्री के लिए विक्रेताओं ने भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं आतिशबाजी विक्रय स्थल पर किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो, इसके लिए प्रशासन ने भी तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं रात १० बजे से सुबह ६ बजे तक पटाखें जलाने पर प्रतिबंध कर दिया है।
पटाखा बाजार में किए जाएगें सुरक्षा के इंतजाम
इसके साथ ही 125 डीबी (एआई) और 145 डीबी (सी) से अधिक ध्वनि वाले पटाखों पर विशेष नजर रखी जाएगी। जिसकी जांच के लिए कलेक्टर के निर्देश पर टीमों का गठन किया गया है। ढोंगा मैदान पटाखा बाजार पर सुरक्षा ,व्यवस्था हर वर्ष से अधिक किए जाएगें। फायर बिग्रेड सहित पानी का टैंकर को रखा जाएगा। इसके साथ ही
तेज आवाज वाले पटाखों का नहीं करें उपयोग
कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन ने अपील की है कि निर्धारित ध्वनि और समय पर पटाखों को जलाया जाए। इसके साथ ही पटाखें जलाने के बाद उसके कचरे को कचरा दान में ही डाले। जिससे नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता बनी रहे। उनका कहना था कि सभी जीवों के हित में पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए आम नागरिकों का सहयोग है।

१० बजे तक किया जाए पटाखों का उपयोग
दीपावली प्रकाश का पर्व है। त्योहार पर विभिन्न प्रकार के पटाखों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। पटाखों के ज्वलनशील और ध्वनि कारक होने के कारण परिवेशीय वायु में प्रदूषक तत्वों एवं ध्वनि स्तर में वृद्धि होकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। इसके साथ ही पटाखों के जलने से निकलने वाले कागज के टुकड़े और अधजली बारूद बच जाती है। जहां पशुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं कलेक्टर ने रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ध्वनि कारक पटाखों को जलाने पर प्रतिबंध कर दिया है।

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