पिछले 10 वर्ष से सांसद रहे वीरेन्द्र कुमार खटीक पर भले ही क्षेत्र विकास में निष्क्रिय रहने एवं सांसद निधि के उपयोग न करने के आरोप लगते रहे हो, लेकिन अपने प्रचार में खर्च के मामले में वह खासे गंभीर बने हुए है। चुनाव प्रचार में खर्च करने में वह सबसे आगे दिखाई दे रहे है। अब तक प्रत्याशियों द्वारा पेश किए गए व्यय लेखा में खर्च के मामले में भाजपा प्रत्याशी वीरेन्द्र कुमार सबसे आगे है। उन्होंने अपने प्रचार में वाहन दौड़ाने, पंपलेट, बैनर सहित अन्य खर्चों पर 26 लाख 76 हजार 689 रूपए खर्च किए है। विदित हो कि निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए 75 लाख रूपए व्यय करने की सीमा निर्धारित की गई है।
कांग्रेस दूसरे नंबर पर: वहीं खर्च के मामले में कांग्रेस दूसरे नंबर पर है। कांग्रेस प्रत्याशी किरण अहिरवार ने 20 लाख 29 हजार 96 रूपए अपने प्रचार पर व्यय किए है। यह राशि भाजपा प्रत्याशी से लगभग साढ़े छ: लाख रूपए कम खर्च किए है। इसके बाद सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी आरडी प्रजापति का नंबर आता है। उन्होंने भी अपना चेहरा चमकाने के लिए 19 लाख 61 हजार रूपए व्यय किए है। इन राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों के बाद यदि अन्य पार्टियों के प्रत्याशी की बात करें तो सबसे पीछे सपाक्स पार्टी आती है। सपाक्स पार्टी के प्रत्याशी श्रीराम नागर ने महज 15700 रूपए ही व्यय किए है।
निर्दलीय में सुरेश आगे: चुनाव प्रचार के खर्च में यदि निर्दलीयों की बात की जाए तो सुरेश कोरी सबसे आगे बने हुए है। उन्होंने भी अपना प्रचार करने में अब तक 53300 रूपए की राशि व्यय की है। इसके साथ ही अन्य निर्दलीय एवं विभिन्न क्षेत्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों भी प्रचार में न्यूनतम राशि व्यय करते दिखाई दे रहे है।
कोरी के वाहन स्वीकृति निरस्त: जहां सभी निर्दलीय एवं पार्टी के प्रत्याशियों ने अपने व्यय लेखे समय से निर्वाचन कार्यालय में प्रस्तुत कर दिए है, वहीं प्रगतिशील समाजवादी पार्टी(लोहिया) के प्रत्याशी कामता प्रसाद कोरी ने अपने व्यय लेखे प्रस्तुत नही किए है। व्यय लेखे प्रस्तुत न करने पर निर्वाचन अधिकारी द्वारा उन्हें समय-समय पर नोटिस भी जारी किए गए थे। लेकिन उनका जबाव न देने पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने उनके प्रचार के लिए दी गई वाहनों की स्वीकृति को निरस्त कर दिया है। निर्वाचन अधिकारी ने उनके द्वारा ली गई 3 वाहनों की अनुमति निरस्त कर दी है।