मामले में पत्रिका ने पड़ताल की तो पाया कि 2007 में तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा बिना किसी आवश्यकता के शासकीय पठार की जमीन खसरा नंबर 574/2 और 249/2 की करीब 14 हेक्टेयर जमीन को नजूल में दर्ज कराया गया। खास बात थी कि इस खाली जमीन को नगरपालिका के द्वारा भवनों से वसूले जाने वाले संपत्ति कर के रूप में दर्ज कर के नामांतरण भी कर दिया गया। मामले में संदेह इसलिए भी है कि जिस बेशकीमती जमीन की कीमत आज करोड़ों में है उसे केवल 1 लाख 20 हजार रूपए और 2 लाख रूपए में विधायक के द्वारा खरीदा गया है।
लोकायुक्त भोपाल ने किया पत्र जारी,मांगी जानकारी
पर्यटन नगरी के बहुचर्चित मामले में मीडिया रिर्पाेटो के आधार पर लोकायुक्त भोपाल के सचिव राजेन्द्र सिंह के द्वारा कलेक्टर के नाम पत्र जारी किया है। जिसमें अरबों रुपए की जमीन को औने पौने दामों पर खरीदे जाने,फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवाने के आरोप के मामले में जानकारी मांगी गई है।
लोकायुक्त भोपाल के सचिव के द्वारा जारी पत्र में प्रशासन से 4 अक्टूबर तक जानकारी मांगी गई है। लोकायुक्त के संज्ञान लेने के बाद प्रशासन के द्वारा संबधितों को पत्र जारी किया गया है। मामले में ओरछा तहसीलदार से सरकारी जमीन को बेचे जाने के दस्तावेज,रजिस्ट्री में प्रयुक्त किए गए दस्तावेज की जानकारी के साथ ही नजूल की जमीन के वर्तमान दस्तावेज मांगे गए है। इसके साथ ही ओरछा नगर पंचायत से खाली जमीन के नामांतरण और किस दस्तावेज से नाम दर्ज किए गए ,उनका आधार मांगा गया है।
चुप्पी साधे है अधिकारी
विधायक से जुडा मामला होने के कारण अधिकारी भी मामले से दूरियां बनाए हुए है। निवाडी एसडीएम संतोष तिवारी के द्वारा पत्र जारी करने को लेकर कहा गया कि कार्यालय में देखकर ही जानकारी दे पाएगें। वही कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल के द्वारा बात नही की गई। ओरछा तहसीलदार संजय गर्ग का कहना था कि जानकारी के बाद ही बता पाएगें।
कहते हैं:
एसडीएम कार्यालय से पत्र आया है। नगर परिषद से निवाडी विधायक सहित अन्य की बायपास वाली जमीन की जानकारी मांगी गई है। नगर परिषद से नामांतरण के साथ ही तहसील और रजिस्टार से भी जानकारी मांगी गई है। पत्र में लोकायुक्त का हवाला दिया गया है।
दिनेश तिवारी, सीएमओ, नगर परिषद, ओरछा