पिछले चार साल से पड़ रहे सूखे के बाद इस पिछले वर्ष जिले में औसत बारिश दर्ज की गई थी। लेकिन चार साल के सूखे की प्यास यह औसत बारिश पूरी नही कर पाई थी। पिछले वर्ष हुई औसत बारिश के कारण इस बार किसानों की रबी की फसल जोरों से हुई है। लेकिन अब फिर से जिले की सिंचाई योजनाओं से संबंधित तालाबों के हाल खराब बने हुए है। मई माह में आलम यह है कि जिले के सभी प्रमुख तालाबों में पानी डेड स्टोरेज से नीचे है। यह पानी केवल मवेशियों के पेयजल के लिए उपयोग किया जा सकता है।
सभी तालाब सूखे: जिले में सिंचाई विभाग के पास सिंचाई के लिए जहां दो बड़ी योजनाएं है, वहीं 125 बड़े तालाब है। यह तालाब ही वर्तमान में जिले की सिंचाई योजना का जरिया है। लेकिन वर्तमान में इन तालाबों की हालत खराब है। जिले के सबसे बड़े तालाबों में शामिल सिंदूर सागर, महेन्द्रसागर नगदा, नंदनवारा, वीर सागर सहित तमाम तालाबों में केवल डेड स्टोरेज श्रेणी का पानी बचा हुआ है। कृषि विभाग के कार्यपालन यंत्री केके मिश्रा का कहना है कि वर्तमान में तालाबों में सिंचाई के लिहाज से पानी नही है। बारिश के बाद ही तय होगा कि विभाग किन योजनाओं से कितना पानी दे पाएगा।
15 जुलाई के बाद होगी नाप: रबी फसल के लिए पर्याप्त पानी देने के बाद अब गर्मी के कारण तालाबों का जलस्तर सलूज के नीचे चला गया है। विभाग का कहना है कि सलूज के नीचे का पानी डेड स्टोरेज की श्रेणी में आता है। यह पानी केवल मवेशियों के पीने के लिए उपयोग करने के लिए होता है। इससे सिंचाई नही होती। सलूज के नीचे का पानी नहर में जा ही नही सकता है। कार्यपालन यंत्र मिश्रा का कहना है कि विभाग वर्षाकाल शुरू होने के बाद 15 जुलाई से योजनाओं में आने वाले पानी की जानकारी एकत्रित करेगा। बारिश में जिस योजना में जितना पानी आएगा, उस हिसाब से सिंचाई के लिए पानी दिया जाएगा।
अब मानसून पर नजर: विदित हो कि चार साल सूखे के बाद हुई औसत बारिश से इस बार अच्छी फसल हुई है। इस फसल ने किसानों को एक बार फिर से संभलने का मौका दे दिया है। यदि इस बार भी मानसून अच्छा रहा तो किसानों और खेती के लिहाज से यह बहुत अच्छा होगा। यदि इस बार भी मानसून ने दगा दे दिया तो फिर से किसान परेशान हो जाएंगे। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी उन किसानों को होगी, जिनके पास खुद के सिंचाई के लिए संसाधन नही है और वह इन्हीं योजनाओं से अपने खेती करते है।
कहते है अधिकारी: वर्तमान में जिले के सभी तालाबों में जलस्तर डेड स्टोरेज है। वर्षाकाल प्रारंभ होने के बाद जुलाई से तालाबों का जलस्तर देखा जाएगा। बारिश के बाद ही विभाग तय कर पाएंगा कि इस वर्ष सिंचाई के लिए कितना पानी दिया जा सकता है।- केके वर्मा, कार्यपालन यंत्री, सिंचाई विभाग।