नही दिख रहा चुनावी माहौल: इस बार के माहौल को देखकर कहीं से भी यह नही लग रहा है कि विधानसभा जैसे महात्वपूर्ण चुनाव चल रहे है और 10 दिन बाद मतदान होना है। जहां शहर की गलियां सूनी है, वहीं गांव की पंगडंडियों पर भी कहीं नारे या प्रचार वाहन आते-जाते नही दिखाई दे रहे है। इसे समय का फेर कहें या निर्वाचन आयोग की सख्ती, कारण कुछ भी हो लेकिन प्रचार-प्रसार का जो तरीका चुनावी माहौल को गर्म करता था, इस बार वह शांत बना हुआ है। इस चुनाव का यह शांत माहौल मतदाताओं की तरह खामौशी उड़े दिखाई दे रहा है।
सोशल मीडिया पर चल रहा युद्ध: इस बार मैदान में भले ही चुनाव प्रचार शांत पड़ा हो, लेकिन सोशल मीडिया पर माहौल पूरी तरह से गर्म बना हुआ है। व्हाट्स-एप, फेसबुक से लेकर हर सोशल नेटवर्क साईट का प्रत्याशियों एवं उनके समर्थकों द्वारा जमकर उपयोग किया जा रहा है। अपने प्रत्याशी के पक्ष में की जा रही पोस्ट और उस पर विरोधियों द्वारा ली जा रही चुटकी से सोशल मीडिया का चुनाव मजेदार बना हुआ है।