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बैनर, पोस्टर और गाजे-बाजे की जगह, घर-घर जाने पर विश्वास कर रहे प्रत्याशी

locationटीकमगढ़Published: Nov 17, 2018 01:11:34 pm

Submitted by:

anil rawat

बैनर, पोस्टर और गाजे-बाजे की जगह, घर-घर जाने पर विश्वास कर रहे प्रत्याशी

MP Election 2018

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टीकमगढ़. अब चुनाव में महज 10 का समय शेष बचा है। लेकिन हर बार की तरह इस बार चुनाव में न तो ढोल-नगाड़े दिखाई दे रहे है, न ही बुंदेली लोकगीतों से मतदाताओं को प्रभावित करते प्रचार वाहन। बैनर-पोस्टरों से अटने वाली शहर की गलियां भी इन दिनों सूनी बनी हुई है। इन सब के इतर प्रत्याशी घर-घर पहुंच कर लोगों से अपने पक्ष में मतदान करने की अपील करने पर ज्यादा विश्वास करते दिखाई दे रहे है। इस माहौल को देखकर यही लग रहा है कि जैसे इस बार का चुनाव विज्ञापन से हटकर सेल्समैन की तरह लड़ा जा रहा है।
पहले चुनाव में मतदान के एक पखवाड़ा पूर्व तक जिले में प्रचार-प्रसार की जो गति होती थी, वह इस बार एकदम शांत बनी हुई है। लगभग एक पखवाड़ा पूर्व ही हर दल के प्रत्याशी द्वारा अपने पक्ष में मतदान कराने के जहां बड़े भारी बैरन, पोस्टर लगाए जाते थे, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तो दीवालों पर प्रत्याशियों को जगह मिलनी मुश्किल हो जाती थी। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में लोकगीतों पर आकर्षक अंदाज में होने वाले प्रचार के वाहन भी चुनाव की हवाओं को गर्मी देते थे। चुनाव में बच्चों के लिए तो विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों के पंपलेट, बैच और कार्ड आकर्षण का प्रमुख सामान हो जाते थे। लेकिन इस बार का चुनाव इससे बिलकुल ही उलट दिखाई दे रहा है।

घर-घर पहुंच रहे प्रत्याशी: इस बार टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले की पांचों विधानसभाओं में यही स्थिति है। प्रचार के तमाम संसाधनों से दूर प्रत्याशी केवल घर-घर जाकर वोट मांगने में विश्वास करते दिखाई दे रहे है। हर पार्टी के प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ मतदाताओं के घर पहुंच रहे है। मतदाताओं से सीधी मुलाकात कर अपने पक्ष में मतदान की अपील की जा रही है। यहां भी न तो किसी प्रकार के पंपलेट दिए जा रहे है और न ही कोई अन्य सामान।
नही दिख रहा चुनावी माहौल: इस बार के माहौल को देखकर कहीं से भी यह नही लग रहा है कि विधानसभा जैसे महात्वपूर्ण चुनाव चल रहे है और 10 दिन बाद मतदान होना है। जहां शहर की गलियां सूनी है, वहीं गांव की पंगडंडियों पर भी कहीं नारे या प्रचार वाहन आते-जाते नही दिखाई दे रहे है। इसे समय का फेर कहें या निर्वाचन आयोग की सख्ती, कारण कुछ भी हो लेकिन प्रचार-प्रसार का जो तरीका चुनावी माहौल को गर्म करता था, इस बार वह शांत बना हुआ है। इस चुनाव का यह शांत माहौल मतदाताओं की तरह खामौशी उड़े दिखाई दे रहा है।
सोशल मीडिया पर चल रहा युद्ध: इस बार मैदान में भले ही चुनाव प्रचार शांत पड़ा हो, लेकिन सोशल मीडिया पर माहौल पूरी तरह से गर्म बना हुआ है। व्हाट्स-एप, फेसबुक से लेकर हर सोशल नेटवर्क साईट का प्रत्याशियों एवं उनके समर्थकों द्वारा जमकर उपयोग किया जा रहा है। अपने प्रत्याशी के पक्ष में की जा रही पोस्ट और उस पर विरोधियों द्वारा ली जा रही चुटकी से सोशल मीडिया का चुनाव मजेदार बना हुआ है।
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