लोगों को आज बताया जा रहा है कि उनके क्या कर्तव्य है। पहले हमारी मां, दादी खुद हमारे घरों के सामने की पूरी सफाई करती थी। सडक़ झाडऩा, पानी डालना, फिर गोबर से लीपना। अब तो सरकार बता रही है कि अपना परिवेश स्वच्छ रखे। लोगों की भी सोच बदली है। अपनी जिम्मेदारी निभाना कोई नही चाह रहा है।
अब पेशवर हो गए चिकित्सक: पहले चिकित्सा सेवाभाव का काम था। रोगी की सेवा करना, बीमार को स्वास्थ करना डॉक्टरों की प्राथमिकता होती थी, आज पूंजीवाद के दौर में यह सेवा का काम भी पेशेवर हो गया है। बहुत से डॉक्टरों की सोच अब यही है, जल्दी से पैसा कराया जाए और बड़ा आदमी बना जाए। राजनीति, चिकित्सा और शिक्षा में पैसा का बोलबाला होने पर ही आज राजनेता, डॉक्टर और शिक्षकों के प्रति लोगों के मन में सम्मान नही बचा है। समाज में हो रहा यह बदलाव चिंता का विषय है। इसके लिए सभी को सोचना होगा।