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विपक्ष के लिए आरक्षित है खरगापुर विधानसभा

locationटीकमगढ़Published: Dec 15, 2018 01:19:25 pm

Submitted by:

anil rawat

2003 में टूटा था मिथक, अब फिर से चुना जा रहा विपक्षी विधायक

MP Election result 2018

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टीकमगढ़. इसे महज संयोग कहें या खरगापुर विधानसभा का दुर्भाग्य, कि जिस पार्टी का भी विधायक यहां से जीतता है, उसे हमेशा ही विपक्ष में बैठना पड़ता है। जिले की खरगापुर विधानसभा से जीतने वाला प्रत्याशी हमेशा यह बता देता है कि सरकार, उसके विरोधी दल की बन रही है। इस बार के चुनाव ने भी खरगापुर विधानसभा के इस अजब संयोग को कायम रखा है। यहां से भाजपा के राहुल सिंह लोधी की जीत के साथ ही प्रदेश में 15 साल से काबिज भाजपा की सत्ता ही पलट गई है।
जिले की खरगापुर विधानसभा सीट शायद विपक्ष के लिए आरक्षित हो गई है। यही कारण है कि यहां से जीतने वाले प्रत्याशी को हमेशा ही विपक्ष में बैठना पड़ता है। इस सीट का अब यह नियम सा बन गया है कि इस सीट से जिस पार्टी का प्रत्याशी जीत दर्ज करता है, उसके विरोधी दल की प्रदेश में सरकार बन जाती है। भाजपा के गढ़ के रूप में पहचानी जानी वाली इस सीट पर इस बार भी जो परिणाम सामने आए है, उसने भी यहां के इस संयोग को बरकरार रखा है। पिछले 28 वर्षों से इस सीट पर जारी इस संयोग को यहां के लोग नियति मानने लगे है।

2003 का चुनाव अपवाद: इस सीट पर 1990 से यह क्रम जारी बना हुआ है। पिछले 28 वर्षों में केवल 2003 का चुनाव छोड़ दिया जाए तो हर बार यहां से जीतने वाले विधायक को विपक्ष में बैठना पडऩा है। 2003 में पहली बार जब उमा भारती के नेतृत्व में प्रदेश में चुनाव लड़ा गया था, उस समय हरिशंकर खटीक यहां से भाजपा के टिकिट से चुनाव लड़े थे, और कांग्रेस के दिग्गीराज को खत्म कर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी। इस चुनाव को छोड़ दिया जाए तो 28 वर्षों में यहां ऐसा फिर कभी नही हुआ है।
यह है कि 1990 से स्थिति: इस सीट पर 1990 से यही हाल है। जिस पार्टी का यहां से विधायक चुना जाता है, उसके विरोधी दल की प्रदेश में सरकार बनती है। 1990 में यहां से भाजपा ने अपनी पहली जीत दर्ज की थी और आनंदी लाल चुनाव जीते थे। उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। इसके बाद 1993, 1998 एवं 2003 में भी यहां से भाजपा के विधायक चुनाव जीते। इसके बाद 2008 में उमा भारती ने जब जनशक्ति पार्टी का गठन किया तो यहां से जनशक्ति से अजय यादव मैदान में आए और चुनाव जीता। उस समय भी प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। 2013 में यहां से कांग्रेस के टिकिट से चंदा सिंह गौर विधायक चुनी गई और फिर से भाजपा की सरकार बनी। वहीं इस बार उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह लोधी ने यहां से जीत दर्ज की तो भाजपा को सत्ता से बाहर हो गई। ऐसे में यहां के लोग अब यही मान रहे है कि शायद हमारे विधायक को विपक्ष में बैठना ही भाग्य में लिखा है।

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