टीकमगढ़

16वीं शताब्दी के स्मारकों का लाइम काढ़ा से हो रहा है अनुरक्षण

छतरी, राजा महल, जहाँगीर महल, रायप्रवीण महल समेत 30 स्मारकों का किया जा रहा अनुरक्षण

टीकमगढ़Feb 27, 2020 / 12:16 pm

anil rawat

Namaste Orchha Festival

ओरछा. 16वीं शताब्दी में ओरछा में बनाए गए तमाम महल एवं छतरियों के अनुरक्षण का कार्य किया जा रहा है। इन इमारतों की मजबूती एवं रखरखाव के लिए पुरातत्व विभाग द्वारा इनकी दीवालों पर लाइम काढ़ा से अनुरक्षण का कार्य किया जा रहा है। विभाग नमस्ते ओरछा महोत्सव के पूर्व ही इस काम को पूरा करने की बात कह रहा है।


नमस्ते ओरछा महोत्सव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। महोत्सव में अब महज 8 दिन शेष है। ऐसे में ओरछा में चल रहे तमाम कामों को पूर्ण कराने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा प्रयास किए जा रहे है। यहां पर चल रहे सभी कार्यों में प्रमुख है, यहां के प्राचीन मठ-मंदिर और महलों का संरक्षण। विभाग द्वारा ओरछा में स्थित राजा महल, जहांगीर महल, रायप्रवीण महल समेत 30 स्मारकों के अनुरक्षण का कार्य किया जा रहा है। इन ऐतिहासिक एवं पुरातत्व महत्त के स्मारकों पर विभाग द्वारा पुट्टी या पीओपी नहीं बल्कि लाइम काढ़ा से काम किया जा रहा है।

 

क्या है लाइम काढ़ा: पुरातत्व विभाग के उप संचालक केएल डाभी ने बताया कि जहागीर महल की दीवारों पर लाइम काढ़ा किया जा रहा है। यह पर्यटकों के लिए बेहद खास और नया अनुभव होगा। उन्होंने बताया कि दूर से पुट्टी पुताई की तरह दिखने वाली इस पुरातत्व पद्धति का इतिहास काफी पुराना। इसे पुरातात्विक भाषा मे लाइम काढ़ा कहा जाता है।

 

इसेे चूना, मार्वल पावडर, पतासी, कच्चे अंडे व उड़द की दाल का पानी मिलाकर बनाया जाता है। इसका लेप तैयार कर स्मारक पर उपयोग किया जाता है।इसके उपयोग से स्मारक की वाटर प्रूफिंग होती है साथ ही स्मारक को मजबूती मिलती है। यह लाइम काढ़ा पद्धति कई वर्षों पुरानी है। डाभी ने बताया कि इन स्मारकों के अनुरक्षण के बाद निश्चित रूप से यह पर्यटकों को अपनी ओर और ज्यादा आकर्षक करेंगे।

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