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ग्रामीण स्तर पर रोजगार देने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों में स्थापित किए गए थे नंदनवन

locationटीकमगढ़Published: Feb 24, 2020 04:29:12 pm

Submitted by:

akhilesh lodhi

रोजगार और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में नंदनवनों को लगाया गया था।

 No benefits were received, fruit and flower plants destroyed at a cost of crores of rupees

No benefits were received, fruit and flower plants destroyed at a cost of crores of rupees

टीकमगढ़.रोजगार और पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में नंदनवनों को लगाया गया था। जिसमें फल और फूलों के पेड़ पौधों को रोपा गया था। उनकी प्राथमिक देखरेख नहीं होने के कारण वह नष्ट हो गए है। जिससे न तो उनका पर्यावरण पर कोई असर पड़ा और न ही ग्रामीणों को रोजगार के साधन उपलब्ध हो पाए। लेकिन जिम्मेदारों द्वारा दो वर्ष तक प्रति माह देखरेख की राशि सरकार से वसूलते रहे।
शासन की मंशा अनुसार टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले की ४५९ ग्राम पंचायतों में रोजगार देने के लिए नंदनवन में अमरूद, नीबू, मौसमी, अनार, सीताफल, जामुन, कटहल के साथ अन्य पौधों को करोड़ों रुपए की लागत से रोपा गया था। यह वन ग्राम पंचायतों की खाली जमीनों में बनाए गए थे। जिसके चारों और तार फैसिंग के साथ होदी और पानी की व्यवस्थाएं की गई थी। इसके साथ ही प्रति माह वन में लगाए गए पौधों की रखवाली की प्रति माह राशि भी प्रदान की जाती थी। जिम्मेदार कागजी पूति करके वह राशि लेते रहे। लेकिन जिले के १९८५ वनों में एक भी जीवित पौधें नहीं है।
यह किए गए थे स्थापित
टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले की ४५९ ग्राम पंचायतों में १ हजार ९८५ नंदनवानों को चिन्हित किया गया था। जिनका कुल क्षेत्र २ हजार ५२८ हैक्टेयर रकबा था। इस क्षेत्रफल में ४ लाख ५८ हजार ३८३ फल, फूल और पर्यावरण को सुरक्षित करने वाले पौधों को रोपा गया था। इसके साथ ही उन वनों में होदी, पानी टैंकर, एक कर्मचारी के साथ कई प्रकार की सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे। इसके बाद भी ग्राम पंचायत लोगों को रोजगार देने वाले वनों को बचा नहीं पाई।
प्रत्येक वनों पर २ से ५ लाख रुपए हुए खर्च
ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार के साधन उपलब्ध हो। उसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों के साथ खिरक और खाली पंचायत की जमीनों पर पौधों को रोपा गया था। प्रत्येक वन की लागत २ से ५ लाख रुपए खर्च किए गए थे। उन वनों का वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निरीक्षण नहीं किया गया। जिसके कारण वह वन सूखकर नष्ट हो गए।

जनपद और जिला पंचायत के अधिकारियों को दी थी जिम्मेदारी
केंद्र और प्रदेश सरकार के निर्देश पर वनों को लगाया था। इस वनों से पृथ्वी पर हरियाली, रोजगार के लिए फल और फूलों को बाजार में बेचने, पर्यावरण को साफ करने के लिए कीमती पौधों को लगाया गया था। उन प्रोजेक्टों की देख रेख और समय-समय पर निरीक्षण करने की जिम्मेदारी जनपद पंचायत के साथ जिला पंचायत के अधिकारियों को दी गई थी। लेकिन उन जिम्मेदारों द्वारा कागजों में ही कार्य किया गया। जिसके कारण यह वन सफल नहीं हो पाए है।
फैक्ट फाइल
टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले में कुल ग्राम पंचायतें – ४५९
टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले में कुल नंदनवन – १९८५
टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले में वनों का कुल हैक्टेयर – २५२८
नंदनवनों में लगाए गए कुल पौधें – ४५८३८३
इनका कहना
ग्राम पंचायतों में वनों को लेकर जिम्मेदारों द्वारा लापरवाही की गई है। उनके खिलाफ पंचायत चुनाव के पहले वसूली अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।
हर्षल पंचोली सीईओ जिला पंचायत टीकमगढ़।
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