जानकारी के अनुसार एकता कॉलौनी निवासी रामनारायण श्रोती की तबियत खराब होने पर उन्हें 12 अप्रेल को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अगले दिन कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर डॉक्टरों ने उनका उपचार शुरू कर दिया। जिला अस्पताल में 18 अप्रेल तक भर्ती रहने के बाद भी जब स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ तो श्रोती ने परिजनों से घर ले चलने की जिद की। इस पर परिजन डॉक्टरों को सूचना देकर उन्हें घर ले आए। इसके अगले दिन 19 अप्रेल को उनकी मौत हो गई। परिजन उनका मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने गए तो यहां पर उनका डिस्चार्ज टिकिट मांग गया। रामनारायण के बेटे अनिरूद्ध ने इसके लिए जिला अस्पताल में संपर्क किया तो बताया गया कि वह खुद उन्हें लेकर गए थे, ऐसे में डिस्चार्ज टिकिट नहीं बनाया गया था। मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए परेशान हो रहे परिजनों ने इसके बाद उनकी कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट और उपचार की केस सीट निकलवाने के लिए सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाया तो पूरा मामला सामने आया।
केस शीट में दवाओं का भी ब्यौरा
अनिरूद्ध ने बताया कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में वहां से उनके पॉजिटिव आने की रिपोर्ट के साथ ही उनके डिस्चार्ज होने वालों की सामूहिक सूची दी गई है। इसमें उनके पिता को 30 अप्रेल को डिस्चार्ज दिखाया गया है। जबकि 19 अप्रेल को मृत्यु हो चुकी थी। कोविड वार्ड की उनकी केस शीट पर 20 से 30 अप्रेल तक लगातार इंजेक्शन और दवाएं दिए जाने का विवरण दिया गया है। वार्ड मेे उनके नाम का लगातार 30 अप्रेल तक उपचार भी बताया गया है। ऐसे में यहां पर रामनारायण के नाम पर किसका उपचार होता रहा उनकी समझ से परे बना हुआ है। यह लापरवाही सामने आने के बाद अधिकारी जवाब देने से बच रहे हैं। कोशिश के बाद भी सीएमएचओ डॉ शिवेंद्र चौरसिया से संपर्क नहीं हो सका।
अस्पताल के रिकॉर्ड में स्वस्थ
यह सब जानकारी जुटाकर कोरोना से हुई मौत का प्रमाण-पत्र बनवाने परिजन आज भी भटक रहे है। अनिरूद्ध श्रोती ने बताया कि अस्पताल के रिकॉर्ड में पिता के स्वस्थ होकर डिस्चार्ज होने का उल्लेख है। इसलिए उनके सामने दिक्कत खड़ी हो गई है।