scriptजीत के बाद संसद के गलियारों में खो रहे वादें | Patrika Jan agenda | Patrika News

जीत के बाद संसद के गलियारों में खो रहे वादें

locationटीकमगढ़Published: Apr 07, 2019 08:45:22 pm

Submitted by:

anil rawat

नही बन सकी क्लस्टर यूनिवर्सिटी, प्राध्यापकों का भी टोटा

Patrika Jan agenda

Patrika Jan agenda

टीकमगढ़. हर चुनाव में विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य का सहित अन्य मुद्दों का नारा बुलंद करने वाले हमारे सांसद इसके लिए कितना काम कर सके है, इसका प्रमाण जिले के महाविद्यालय खुद रहे है। हमारे माननीयों की उदासीनता के चलते जहां जिले को क्लस्टर यूनिवर्सिटी का दर्जा नही मिल सका है, वहीं महाविद्यालयों के आधे से अधिक पद रिक्त बने हुए है। आलम यह है कि आज भी छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए पलायन करना पड़ रहा है।


1958 में स्थापित हुए जिले का पीजी कॉलेज आज प्राध्यापकों से महरूम है। इस महाविद्यालय की स्थापना हुए आज 61 वर्ष पूर्ण हो चुके है। इस महाविद्यालय में छात्रों को उच्च शिक्षा के नाम पर केवल कला, विज्ञान एवं गणित संकाय में पीजी कोर्स कराए जा रहे है। इन कोर्सों को भी पूरा कराने के लिए महाविद्यालय में प्राध्यापकों का खासा टोटा बना हुआ है। यह हाल जिले के दूसरे महाविद्यालयों का भी है। हर बार शिक्षा की सूरत सुधारने के नाम पर वोट एकत्रित करने वाले सांसद एवं जनप्रतिनिधि इसके लिए प्रयास करने का भले ही दंभ भर हो, लेकिन हकीकत बिलकुल भी जुदा है।


रास्तें में खो रहे वादें: 1958 से स्थापित इस कॉलेज में छात्रों को सिर्फ कला, विज्ञान, लॉ और गणित से पीजी करने के अलावा कोई नई संकाय की सुविधा नही मिल सकी है। आलम यह है कि इंजीनियरिंग, मेडीकल, मैनेजमेंट सहित अन्य विषयों की पढ़ाई करने के लिए छात्रों को अब भी महानगरों के लिए पलायन करना पड़ रहा है। चुनाव में शिक्षा के सुधार का नारा बुलंद करने वाले महारे माननीय सांसद जैसे ही चुनाव जीतते है, उनका यह नारा टीकमगढ़ से दिल्ली जाने वाली गलियों में न जाने कहां खो जाता है।

 

नही बन सकी क्लस्टर यूनिवर्सिटी: हमारे माननीयों के शिक्षा पर ध्यान न देने का ही परिणाम है कि जिले के पीजी कॉलेज को क्लस्टर यूनिवर्सिटी का दर्जा नही मिल सका है। क्लस्टर यूनिवर्सिटी के लिए आए शासन के प्रस्ताव के बाद महाविद्यालय ने इसके लिए सारी तैयारियां भी की और रिपोर्ट तैयार की गई। लेकिन किसी जनप्रतिनिधि का ध्यान न होने से पीजी कॉलेज को यह सौगात नही मिल सकी। यदि जिले में क्लस्टर यूनिवर्सिटी आ जाती तो छात्रों को बहुत सुविधा होती। लेकिन यह क्लस्टर यूनिवर्सिटी दतिया चली गई।


प्राध्यापकों का टोटा: महाविद्यालय में अन्य पाठ्यक्रमों की सुविधा तो दूर, वर्षों से जो संकाय संचालित है, उनमें भी प्राध्यापकों का जमकर टोटा बना हुआ है। जीपी कॉलेज में ही प्राध्यापकों के स्वीकृत 11 पदों में से सभी खाली पड़े हुए है। वहीं 46 सहायक प्राध्यापकों में से 32 खाली है। यही हाल गल्र्स कॉलेज सहित जिले के अन्य महाविद्यालयों का है। वहीं पिछले वर्ष शासन द्वारा खोले गए लिधौरा, मोहनगढ़ एवं बल्देवगढ़ महाविद्यालयों की बात करें तो यहां तो स्थिति और भी दयनीय है। यहां पर तो केवल प्रभारी प्राचार्य के भरोसे ही सारी व्यवस्थाएं संचालित हो रही है।


इमानदारी से प्रयास की जरूरत: ऐसा नही है कि हमारे जिले के महाविद्यालयों की व्यवस्थाएं नही सुधर सकती है। इसके लिए जरूरी है हमारे जनप्रतिनिधियों का इमानदार प्रयास। लेकिन यह प्रयास अब तक होता नही दिखाई दिया है। यही कारण है कि हमारे यहां के महाविद्यालयों की स्थिति सुधरने की जगह और बिगड़ती जा रही है। इस बार भी हमारे युवा मतदाताओं ने जन-एजेंडा में इस समस्या को प्रमुखता से उठाया है।

ट्रेंडिंग वीडियो