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ऐसे ही हारेगा कोरोना: जतारा एसडीएम निभा रहे दोहरी जिम्मेदारी, प्रशासनिक व्यवस्थाओं के साथ देख रहे मरीज

locationटीकमगढ़Published: Apr 06, 2020 01:54:40 pm

Submitted by:

anil rawat

प्रशासनिक व्यवस्थाओं के साथ देख रहे मरीज, 8 दिनों से परिवार से बनाए है दूरी

Patrika karmaveer

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टीकमगढ़/जतारा. कोरोना संक्रमण से जूझ रहे पूरे देश को बचाने के लिए जहां मेडीकल स्टॉफ अपनी जान पर खेल कर काम रहा है, वहीं जिले के कुछ प्रशासनिक अधिकारी भी इनसे पीछे नहीं है। पिछले 8 दिनों से जतारा एसडीएम न केवल प्रशासनिक व्यवस्थाओं को संभाल रहे है, बल्कि एक अच्छे डॉक्टर का भी फर्ज अदा कर रहे है। इस फर्ज को पूरा करने के लिए वह पिछले 8 दिनों से अपने परिवार से पूरी दूरी बनाएं हुए है।


इन दिनों सुबह से अपने काम पर निकलते समय जतारा एसडीएम सौरभ संजय सोनवणे अपना स्टेथेस्कोप और थर्मामीटर लेना नहीं भूल रहे है। सुबह से बाहर से आए लोगों के भोजन-पानी की व्यवस्था देखने के साथ ही पुलिस के बाद लॉकडाउन की स्थिति का जायजा लेने के बाद वह निरंतर ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों का भ्रमण कर रहे है। ऐसे में जहां भी उन्हें बच्चें, वृद्ध या कोई मजदूर मिल रहा है, उससे बाहर निकलने का कारण जानने के साथ ही खुद ही उसकी जांच कर रहे है। पिछले 8 दिनों से यही उनका मुख्य काम बन गया है। तमाम स्वास्थ्य संसाधनों की कमी से जूझ रहे जिले में एसडीएम सोनवणे कम से कम एक डॉक्टर की कमी को पूरा करने से नहीं चूक रहे है। विदित हो कि एसडीएम सोनवणे, एमबीबीएस डॉक्टर भी है।

 

परिवार से बनाई दूरी: पूरे दिन काम करने के बाद परिवार के साथ मैनेज करने की बात पर सोनवणे बताते है कि उन्होंने पिछले 8 दिनों से परिवार के साथ सोशल डिस्टेंश बना रखी है। उनके साथ अकेली पत्नी है। घर जाने पर बाहर ही मोबाइल और घड़ी को सेनेटाइज करते है और फिर पूरे कपड़ों को गर्म पानी से धोते है। खुद गर्म पानी से नहाने के बाद दूरी से ही अपनी पत्नी से बात करते है।

 

आम दिनों साथ ही खाना खाने वाले यह दोनों अब दूरी पर बैठकर खाना खा रहे है। सोनवणे बताते है कि दिन का खाना तो गांव में ही कहीं हो जाता है, कभी-कभी रात को ही साथ खाना हो पा रहा है। इसके बाद दोनों अपने-अपने कमरें में जाकर सो जाते है। सारे दिन ग्रामीणों के बीच रहकर बीमारों का उपचार करने पर अब उनकी पत्नी को भी उनकी चिंता लगी रहती है, इसलिए दिन में एक-दो बार फोन कर लेती है। एसडीएम बताते है कि उनकी पत्नी भी 17 मार्च के बाद से अपने घर में ही बंद है।


पहली बार देखा ऐसा पलायन: कोरोना संक्रमण के समय में हुए अपने अनुभवों के बारे में सोनवणे बताते है कि पहली बार उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में पलायन देखा है। वहीं बाहर से लौटे मजदूरों की हालत भी उन्हें परेशान करती है। वह कहते है ठेकेदारों ने कइयों के साथ धोखा किया है, बिना पैसे के ही मजदूरों को छोड़ दिया गया है, ऐसे में मीलो पैदल सफर करने के बाद घरों में पहुंचे मजदूरों के सामने हकीकत में भोजन अब समस्या है। उनका कहना है कि इन 14 दिनों के बाद उनके सामने बस एक ही काम है कि इन सभी के खातें खुलवाना और कार्ड बनवाना। उनकी कोशिश रहेगी अब यहां से पलायन न हो।

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