भाजपा के पूर्व जिला मंत्री एवं नगर पालिका की पूर्व उपाध्यक्ष शशिप्रभा होण्ड के पति सुनील होण्डा ने अपनी ही पार्टी की नगर पालिका के समय आवास योजना में हुए भ्रष्टाचार को लेकर मोर्चा खोल दिया है। उनका आरोप है कि गरीबों को आशियाना देने की योजना में नगर पालिका में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। इसके लिए उन्होंने नपा सीएमओ पर आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमार से की थी। उनकी शिकायत पर केन्द्रीय मंत्री कुमार ने कलेक्टर को पत्र जारी कर जांच करने के आदेश दिए है।
ऐसे हुआ था फर्जीवाड़ा
सुनील होण्डा ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर पालिका में वर्ष 2018 में 1212 हितग्राहियों के लिए 12 करोड़ 12 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। जो हितग्राही पात्र पाए गए थे, उन्हें आवास योजना के तहत पहली किश्त के रुप में 1 लाख रुपए दिए जाने थे। उनका कहना है कि ऐसे में नगर पालिका में प्राप्त हुए आवेदनों में 1065 पात्र हितग्राही पाए गए थे और उनके आवास स्वीकृत कर 12 करोड़ 65 लाख रुपए की राशि उनके खातों में स्थानांतरित की गई थी। ऐसे में 147 हितग्राहियों की राशि 1 करोड़ 47 लाख रुपए नपा के खाते में शेष बचे थे। होण्डा का आरोप है कि यह राशि बिना स्वीकृति के ही अपने कुछ खास लोगों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई थी, जब इसकी शिकायत की गई तो एक साल बाद इन लोगों की सूची जारी कर दी गई। वहीं उन्होंने बिना किसी आदेश के नगर परिषद जेरौन एवं लिधौरा में पदस्थ रहे उपयंत्री सृजन गुप्ता से नगर पालिका की फाइलें पूरी कराकर हेरफेर करने का आरोप लगाया है। होण्डा ने बताया कि सृजन गुप्ता जेरौन नगर परिषद में प्रधानमंत्री आवास में हुए फर्जीवाड़े में आरोपी है। ऐसे में उन्होंने इनके द्वारा नगर पालिका में डील की गई फाइलों की जांच कराने की भी मांग की है।
नहीं हुई सुनवाई
होण्डा ने बताया कि पूर्व में उनके द्वारा इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से करने के साथ ही सागर कमिश्नर एवं जिला प्रशासन से भी की थी। लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद उन्होंने परेशान होकर इस मामले में केन्द्रीय मंत्री से शिकायत की थी। ऐसे में अब इस पर जांच का आश्वासन मिला है। उन्होंने बताया कि यह पत्र कलेक्टर के पास पहुंच गया है और उन्होंने जांच का आश्वासन दिया है। होण्डा का आरोप है कि नपा में पिछले पांच सालों में नियम विरूद्ध तरीके से अनेक काम किए गए है। यदि पूरे कार्यकाल की जांच की जाए तो अनेक घोटाले सामने आएंगे। इस संबंध में सीएमओ रीता कैलासिया से बात नहीं हो सकी है।