जेल में विभिन्न मामलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों से काम कराया जाता है। इस काम के बदले उन्हें पारिश्रमिक भी दिया जाता है। ऐसे में जेल प्रबंधन ने अब कैदियों को नर्सरी तैयार करने के काम में लगाया है। जिला जेल के अधीक्षक प्रतीक कुमार जैन ने बताया कि जेल में कैदियों से नर्सरी तैयार कराई जा रही है। इसमें जो पौध तैयार होगी उसे शासन के विभिन्न विभागों को बेचा जाएगा। उन्होंने बताया कि हमारे कैदियों द्वारा तैयार की गई पौध दूसरे सरकारी विभागों से सस्ती होगी, क्यों कि जेल में बंद कैदियों कम पारिश्रमिक पर काम करते है। ऐसे में इसकी लागत कम होगी। इसके लिए केन्द्रीय जेल के माध्यम से विभागों से एग्रीमेंट कर इस पौध को बेचा जाएगा। उन्होंने बताया कि यहां पर तैयार होने वाले पौधों की कीमत लगभग 10 रुपए होगी।
जुटाएं जाएंगे संसाधन
जेल अधीक्षक जैन ने बताया कि जेल में कैदियों से काम कराने के लिए बहुत कम बजट होता है। यह काम आसानी से कम बजट में किया जा सकता है। इससे जो आय होगी उसका उपयोग जेल में रोजगार के दूसरे साधन तैयार करने के साथ ही कैदियों के वेल-फेयर के लिए खर्च की जाएगी। विदित हो कि अब तक जेल में बंद कैदियों से खाना बनवाने, सफाई करने के साथ ही कैदियों की काम पर नजर रखने ड्यूटी पर तैनात करने में किया जाता था। जेल अधीक्षक जैन ने बताया कि कुछ समय पूर्व सिलाई मशीन उपलब्ध कराई गई थी उससे कैदियों ने कोरोना संक्रमण के बीच मास्क बनाए थे। लेकिन अब कोई काम नहीं था। ऐसे में बारिश के मौसम में अब नर्सरी का काम शुरू कराया गया है। यह काम आगे भी निरंतर जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि जेल में कैदियों से काम लेने एवं उन्हें सिखाने के लिए हथकरघा उद्योग भी प्रस्तावित है। ऐसे में अब उसके लिए भी प्रयास शुरू किए जा रहे है। नर्सरी का काम शुरू होने से कैदियों को एक नया काम मिला है और इससे आय भी होगी।
दूध की थैलियों का उपयोग
जेल अधीक्षक ने बताया कि पौध तैयार करने के लिए कैदियों द्वारा दूध की थैलियों का उपयोग किया जा रहा है। प्रतिदिन जेल में आने वाले दूध की थैलियों का उपयोग होने से भी लागत कम हो रही है और बेस्टेज का भी उपयोग हो रहा है। कैदियों द्वारा यहां पर मुनगा, आम, जामुन, आंवला सहित अन्य किस्म के पौधे तैयार किए जा रहे है। वितिद हो कि जेल में वर्तमान मेें 270 सजायाफ्ता एवं विचाराधीन बंदी है।