चातुर्मास 4 माह का वह समय होता है। जब बारिश शुरू हो जाती है। मुनि महाराज एक जगह रुक कर अपना धर्म ध्यान एवं भगवान की आराधना करते हैं। बारिश में अनेक प्रकार की जीवो की उत्पत्ति हो जाती है । वह जीव इतने छोटे होते हैं। हम उनको नग्न आंखों से नहीं देख सकते। उन जीवों को किसी प्रकार की हानि एवं वेदना नहीं पहुंचे। इसलिए जैन साधु 4 माह एक स्थान पर रहकर अपनी धर्म साधना करते हैं।
जैन धर्म मे अहिंसा पर विशेष जोर दिया गया है। संपूर्ण देश भर में जैन साधुओं के चातुर्मास शुरू हो रहे हैं। आचार्य विद्यासागर के आशीर्वाद से अतिशय क्षेत्र बंधा जी की पावन धरा पर पहली बार पंच ऋ षिराजो का चातुर्मास कलश स्थापना का कार्य रविवार को होने जा रहा है। मुनिश्री विम ल सागर मुनिश्री भाव सागर, मुनिश्री अनंत सागर, मुनिश्राी अचल सागर, मुनिश्री धर्म सागर महाराज का चतुर्मास पहली बार अतिशय क्षेत्र बंधा की पावन धरा पर हो रहा है। जो व्यक्ति चातुर्मास मंगल कलश की स्थापना करता है। वह कलश रिद्धि सिद्धि मंत्रों द्वारा मंत्रित होता है। 4 माह तक वह कलश एक ही स्थान पर रखा जाता है। चतुर्मास पूरा होने पर कलश को उस भक्त को दिया जाता है। जिसने कलश की स्थापना की है। चतुर्मास कलश जिस व्यक्ति के घर में जाता है । उनके घर में सुख शांति समृद्धि का वास होता है।