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बच्चों से मिलकर अपने बचपन को याद कर रहे रविश्री

locationटीकमगढ़Published: Aug 13, 2020 12:20:21 pm

Submitted by:

anil rawat

छिपरी में चल रहे चार्तुमास में सरकार ने बच्चों के लिए निकाला विशेष समय

Rawatpura Sarkar

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टीकमगढ़. पहली बार अपनी जन्मस्थली पर चार्तुमास कर रहे रविशंकर महाराज एक बार फिर से अपने बचपन के दिनों को खुलकर याद कर रहे है। यहां पर आने वाले उनके अनुयायियों को मिलने के लिए जहां समय लेना पड़ रहा है, वहीं गांव के बच्चों के लिए उनका दरवार खुला हुआ है। वह बच्चों के साथ घंटे बैठकर बातें कर अपने बचपन को याद करते दिखाई दे रहे है।


रावतपुरा सरकार रविशंकर महाराज ने इस बार अचानक से अपनी जन्मस्थली ग्राम छिपरी में चार्तुमास करने का व्रत लिया था। कोरोना संक्रमण के बीच यहां पर शुरू हुए चार्तुमास के प्रारंभ में ही उन्होंने कहा था कि जब वह यहां पर आते है तो उन्हें अपना बचपन याद आ जाता है। उनके बचपन के साथी भी उनके आने की खबर पर यहां दौड़ पड़ते है। इस बार वह अपने चार्तुमास में अपने बचपन को एक बार फिर से जीवंत करते दिखाई दे रहे है।

 

विदित हो कि छिपरी में चार्तुमास होने पर देश भर से उनके शिष्य एवं अनुयायी यहां पहुंच रहे है। लेकिन सोशल डिस्टेंस को देखते हुए किसी को यहां पर रुकने की व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं बाहर से आने वाले लोगों को उनके दर्शन कर मिलने के लिए भी प्रतिक्षा करनी पड़ रही है। वहीं बच्चों के साथ सरकार की बराबर गुफ्तगू चल रही है। यह देखकर उनके शिष्य भी आनंदित होते दिखाई दे रहे है।

 

बच्चों के साथ बिताया समय
वहीं सरकार इन दिनों गांव के बच्चों के साथ खुलकर समय बिता रहे है। आलम यह है कि अपने नित्यकर्म, पूजा के उपरांत जैसे ही सरकार आश्रम की छत पर पहुंचते है, बच्चें उन्हें देखकर वहां दौड़ लगा देते है। कोई रैलिंग फांद कर उनके पास पहुंचता है तो कोई सीढिय़ों से बिना किसी रोक-टोक के उन तक पहुंच जाता है। इसके बाद सभी क्रम से लाइन में बैठकर घंटों बातें करते रहते है।

 

इस दौरान रविश्री महाराज भी उनके बीच बच्चों के मनोभाव से पूरे गंभीर होकर चर्चा करते दिखाई देते है। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो आलम यह होता है कि बच्चें उनसे तुम-तुम करके बातें करते रहते है और वह भी इसका पूरा मजा लेते है। वहीं समय ज्यादा होने पर सरकार बच्चों से पूछते है कि महाराज अब जाने का क्या लोगे। तो कुछ बच्चें बिस्किट की मांग करते है तो कुछ चाकलेट की। इस पर सभी की इच्छानुसार सामान देकर सरकार उन्हें कल आने का कह कर विदा कर देते है।

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