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टीकमगढ़

पंचायतों में रेत खदानें पहुंचने से विभाग को 7 करोड़ का घाटा

शासन को हो रही थी हानि, 75 प्रतिशत कम हुआ राजस्व

टीकमगढ़Jun 07, 2019 / 08:54 pm

anil rawat

Sand mines will be withdrawn from panchayats

Sand mines will be withdrawn from panchayats

टीकमगढ़. प्रदेश सरकार ने लगभग एक वर्ष पूर्व पंचायतों के अंतर्गत आने वाली रेत खदानों से खनन का अधिकार पंचायतों को दे दिया था। अब यह रेत खदाने फिर से पंचायतों से वापस ली जाएगी। विदित हो कि पंचायतों में रेत खदाने जाने से विभाग को राजस्व का खासा नुकसान हो रहा था। इसके साथ ही रेत खदानों को ठेके पर लेने वाले ठेकेदारों ने भी अपने खदानों को सिलेण्डर कर दिया था।


प्रदेश सरकार ने पंचायतों के अधिन खदानों को फिर से वापस लेने का निर्णय लिया है। प्रदेश सरकार की कैबिनेट में इस निर्णय को मंजूरी दे दी गई है। इसका गजट नोटिफिकेशन होने के बाद एक बार फिर से यह खदाने खनिज विभाग के पास आ जाएंगी। सरकार के इस निर्णय के बाद अब विभाग अपनी योजना बनाने में लग गया है। विभाग इसका नोटिफिकेशन होने का इंतजार कर रहा है। विदित हो कि जिले में संचालित 26 रेत खदानों में से 13 रेत खदाने पंचायतों के सुपुर्द कर दी गई थी। सरकार के इस कदम के बाद जहां ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया था, वहीं विभाग को भी राजस्व की हानि हो रही थी।

 

75 फीसदी घटा राजस्व: टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले की कुल 26 खदानों के ठेके पर चलने से विभाग को प्रतिवर्ष इन खदानों से लगभग 8 से 10 करोड़ रूपए के राजस्व की प्राप्ति होती थी। कुछ खदानें जहां 300 रूपए घन मीटर के हिसाब से ठेकेदार थी तो कुछ 350 रूपए के हिसाब से दी गई थी। वहीं पंचायतों को सरकार ने महज 125 रूपए घन मीटर में रेत खनन के अधिकार दिए थे। इससे ठेकेदारों एवं पंचायतों के रेट में खासा अंतर आ रहा था। विभाग की माने तो पंचायतों के पास काम जाने के बाद विभाग को इस वर्ष केवल 2.5 करोड़ रूपए के राजस्व की प्राप्ति ही हुई थी। जबकि ठेके पर खदानें होने से विभाग 8 से 10 करोड़ रूपए कमाता था।

 

बंद कर दिया था काम: रेत खदानों का काम पंचायत में जाने के बाद ठेकेदारों ने अपने काम बंद कर दिया था। उन्होंने ठेके की रायल्टी जमा कर रेत निकालना बंद कर दिया था। विभाग का कहना था कि पंचायत एवं ठेके के रेट में दोगुने से अधिक का अंतर होने के कारण ठेकेदारों को काम में घाटा हो रहा था। पंचायतें जहां केवल 125 रूपए घन मीटर के हिसाब से रेत का खनन कर रही थी, वहीं ठेकेदारों को इसी रेत के लिए 300 से 350 रूपए का भुगतान करना पड़ता था। इसी हिसाब से उन्हें रायल्टी का भुगतान भी करना पड़ता था। ऐसे में जिले के लगभग 80 फीसदी किसानों ने अपनी खदाने सिलेण्डर कर दी थी।


चल रही 9 खदानें: पंचायतों के पास रेत का काम जाने के बाद जिले की 26 खदानों में से मात्र 9 खदाने ही संचालित हो रही है। विभाग की माने तो निवाड़ी जिले की 4 एवं टीकमगढ़ जिले की 5 खदानों में से पंचायतों के द्वारा रेत का खनन किया जा रहा है। पंचायतों को दी गई 13 खदानों में से 4 में अब तक काम ही शुरू नही हुुआ है। वहीं विभाग को अब नई रेत नीति का इंतजार है। कैबिनेट के निर्णय के बाद विभाग अब गजट नोटिफिकेशन का इंतजार कर रहा है।
कहते है अधिकारी: सरकार ने कैबिनेट में पंचायतों से रेत खदाने वापस लेने का निर्णय लिया है। नोटिफिकेशन के बाद इस पर काम किया जाएगा। पंचायतों में काम जाने के बाद जिले के अधिकांश ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया है। इससे विभाग के राजस्व में कमी आई है।- पंकज ध्वज मिश्रा, खनिज निरीक्षक, टीकमगढ़।

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