तालदरवाजा स्थित महेन्द्र सागर तालाब जहां शहर की जलापूर्ति का मुख्य श्रोत है, वहीं इस तालाब की बधान पर बना राजशाही दौर का शिव मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजशाही दौरा में महाराज प्रतापसिंह जू देव द्वारा कराया गया था। मंदिर के पुजारी ओपी सिरधर बताते है कि तालाब का निर्माण होने पर महाराज प्रताप सिंह ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। वह बताते है कि यह मंदिर 1887 में बना था। मंदिर का निर्माण होने के बाद शिवलिंग को पहले अन्नवास, जलवास आदि कराया गया।
लेकिन जब स्थापना की बारी आई तो पिंडी हिली भी नहीं। वह बताते है कि जब राजा को जानकारी हुई तो उन्होंने ने ही यहां पहुंच कर भगवान से विनती की और इसके बाद स्थापना हो सकी। तालाब की बधान पर निर्मित यह छोटा सा सुंदर मंदिर अपने खूबसूरती के लिए भी पहचाना जाता है। मंदिर के ऊपर आच्छादित पीपल की छाया और सामने विशाल तालाब से इसकी सुंदरता कई गुना बड़ जाती है। विशेष चकीले पत्थर के लिए पहचाने जाने वाले इस मंदिर के विषय में इतिहासकार पंडित हरिशविष्णु अवस्थी बताते है कि यह ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित शिवलिंग है। उनका कहना है कि उस समय यहीं पर इसका निर्माण कराया गया था।
शिवरात्रि का विशेष महात्व
मंदिर के पुजारी बताते है कि यहां पर शिवरात्रि का तीन दिवसीय पर्व मनाया जाता है। सावन में हर दिन भगवान का आकर्षक श्रंगार किया जाता है। वह बताते है कि शिवरात्रि को लेकर ऐसी मान्यता है कि विवाह योग्य युवतियों के यहां पर मंडप के दिन भगवान को तेेल चढ़ाने पर उनके विवाह में किसी प्रकार की अड़चन नहीं आती है। ऐसे में शिवरात्रि पर यहां पर कई लोग पहुंचते है।