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बने दुल्हा छवि देखो राम की…राजशाही ठाठ से निकली श्रीराम की बारात

locationटीकमगढ़Published: Dec 13, 2018 12:38:52 pm

Submitted by:

anil rawat

विवाह पंचमी के अवसर पर शाम होते-होते पूरा मंदिर परिसर हजारों श्रद्धालुओं से भर गया था। सभी को इंतजार था तो मंदिर के पट खुलने का।

shri Ramraja sarkar orchha

shri Ramraja sarkar orchha

टीकमगढ़. विवाह पंचमी के अवसर पर शाम होते-होते पूरा मंदिर परिसर हजारों श्रद्धालुओं से भर गया था। सभी को इंतजार था तो मंदिर के पट खुलने का। सभी की अपलक नजरें मंदिर के पट पर लगी हुई थी, कि कब मंदिर के पट खुले और दुल्हा बने राजाधिराज श्रीरामराजा सरकार के दर्शन हो। वहीं प्रांगण में हजारों महिला श्रद्धालुओं द्वारा गाए जा रहे गीत, बने दुल्हा छवि देखों राम की, दुल्हन बनी सिया जानकी से लोगों के मन में श्रीरामराजा के दर्शन की बैचेनी बढ़ती जा रही थी।
बुधवार को विवाह पंचमी के अवसर पर श्रीरामराजा मंदिर का प्रांगण श्रद्धालुओं से पटा पड़ा था। श्रीराम-जानकी विवाह के आयोजन के लिए यहां पर देश भर से लोग आए हुए थे। श्रीराम-जानकी विवाह के लिए पूरे ओरछा नगर में की गई तैयारियां एवं यहां पर हजारों की संख्या में मंदिर प्रांगण में एकत्रित श्रद्धालुओं को देखकर विदेशी पर्यटक भी इस आयोजन को लेकर रोमांचित दिखाई दे रहे है। भगवान की बारात देखने के लिए देश भर के हजारों श्रद्धालु मंदिर में जमा हुए थे। शाम को 7 बजे के लगभग जैसे ही मंदिर के पट खुले और दुल्हा वेष में भगवान बाहर निकले पूरा मंदिर प्रांगण भगवान श्रीराम के जयकारों से गुंजायमान हो गया।
दी गई सलामी: जैसे ही बारात की राछ के लिए भगवान को बाहर निकाला गया सबसे पहले सशस्त्र जवान ने उन्हें सलामी दी। मंदिर के अंदर से पुजारियों एवं ब्राम्हण द्वारा भगवान की पालकी को बाहर तक लाया गया इसके बाद आए आगंतुकों ने पालकी को अपने कंधों पर साध लिया। भगवान की पालकी को कंधा देने के लिए तो श्रद्धालुओं की होड़ सी लगी हुई थी। पालकी को प्रांगण में लेकर चलना ही मुश्किल हो रहा था। हर कोई अपने आराध्य की पालक को कांधा देने के लिए आतुर दिखाई दे रहा था। ऐसे में सुरक्षा बलों को भी काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही थी।

राजशाही था अंदाज: बारात पूरी राजशाही अंदाज में आगे बढ़ रही थी। बारात के सबसे आगे रघुकुल का प्रतीक चिन्ह चल रहा था। उसके बाद मशालची मशालें लेकर आगे राह दिखा रहे थे। भगवान की शान में चांदी की छड़ी लिए दरबान उसके आगे चल रहे थे। भगवान को चबर हिलाते हुए सेवक, भगवान को पालकी में लगाई गई तिकौनी लोगों की आकर्षण का मुख्य केन्द्र रही।
घर-घर हुआ तिलक: मंदिर प्रांगण से बारात बाहर आने के साथ ही हर घर में श्रीराम की आरती और तिलक प्रारंभ हो गया। हर घर के आगे लोगों ने सुंदर रंगोली सजा कर बंधनवार सजाए थे। घर के आगे कलश रख कर उस पर दीपक जलाए गए थे। सभी ने श्रद्धा से नत होकर अपने आराध्य की आरती की। विदित हो कि साल भर में यह एक मात्र ऐसा अवसर आता है, जब जन-जन के आराध्य श्रीराम राजा सरकार स्वयं नगर में निकलते है। इस अवसर के लिए जैसे साल भर पूरा नगर इंतजार करता है।
जमकर नाचे श्रद्धालु: भगवान श्रीरामराजा सरकार की बारात में हर कोई आनंदित दिखाई दे रहा था। लोगों ने इस घड़ी का पूरा आनंद लिया। हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपने आराध्य की बारात में नाच रहे थे। इस अद्भुद आनंद के वशीभूत विदेशी पर्यटक भी खुद को नही रोक पाए और वह भी बारात में खूब थिरके। बारात में घोड़ा, बैंड के साथ ही देशी वाद्य यंत्र रमतूला, ढोल, नगडिय़ा, झेला, मजीरा की धुन पर विदेशियों ने जमकर ताल मिलाई।
हुआ बारात का टीका: जानकी महल पहुंची बारात का कन्या पक्ष के द्वारा टीका किया गया। सबसे पहले भगवान श्रीराम का टीका कर द्वारचार किया गया। इसके बाद बारात में शामिल सभी बारातियों का स्वागत किया गया। दुल्हा बन कर आए भगवान श्रीरामराजा का द्वारचार और टीका का नेग होने के बाद, विवाह के शेष सारी रस्में श्रीरामराजा मंदिर में की गई। इस दौरान पूरे रात श्रद्धालु मंदिर के बाहर ही गाते-बजाते रहे।

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