राजशाही था अंदाज: बारात पूरी राजशाही अंदाज में आगे बढ़ रही थी। बारात के सबसे आगे रघुकुल का प्रतीक चिन्ह चल रहा था। उसके बाद मशालची मशालें लेकर आगे राह दिखा रहे थे। भगवान की शान में चांदी की छड़ी लिए दरबान उसके आगे चल रहे थे। भगवान को चबर हिलाते हुए सेवक, भगवान को पालकी में लगाई गई तिकौनी लोगों की आकर्षण का मुख्य केन्द्र रही।
घर-घर हुआ तिलक: मंदिर प्रांगण से बारात बाहर आने के साथ ही हर घर में श्रीराम की आरती और तिलक प्रारंभ हो गया। हर घर के आगे लोगों ने सुंदर रंगोली सजा कर बंधनवार सजाए थे। घर के आगे कलश रख कर उस पर दीपक जलाए गए थे। सभी ने श्रद्धा से नत होकर अपने आराध्य की आरती की। विदित हो कि साल भर में यह एक मात्र ऐसा अवसर आता है, जब जन-जन के आराध्य श्रीराम राजा सरकार स्वयं नगर में निकलते है। इस अवसर के लिए जैसे साल भर पूरा नगर इंतजार करता है।
जमकर नाचे श्रद्धालु: भगवान श्रीरामराजा सरकार की बारात में हर कोई आनंदित दिखाई दे रहा था। लोगों ने इस घड़ी का पूरा आनंद लिया। हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपने आराध्य की बारात में नाच रहे थे। इस अद्भुद आनंद के वशीभूत विदेशी पर्यटक भी खुद को नही रोक पाए और वह भी बारात में खूब थिरके। बारात में घोड़ा, बैंड के साथ ही देशी वाद्य यंत्र रमतूला, ढोल, नगडिय़ा, झेला, मजीरा की धुन पर विदेशियों ने जमकर ताल मिलाई।
हुआ बारात का टीका: जानकी महल पहुंची बारात का कन्या पक्ष के द्वारा टीका किया गया। सबसे पहले भगवान श्रीराम का टीका कर द्वारचार किया गया। इसके बाद बारात में शामिल सभी बारातियों का स्वागत किया गया। दुल्हा बन कर आए भगवान श्रीरामराजा का द्वारचार और टीका का नेग होने के बाद, विवाह के शेष सारी रस्में श्रीरामराजा मंदिर में की गई। इस दौरान पूरे रात श्रद्धालु मंदिर के बाहर ही गाते-बजाते रहे।