विदित हो कि श्रीरामराजा मंदिर में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमीं का पर्व राजशाही दौर से संपन्न होता आया है। यहां पर मंदिर परिसर में राजभोग की आरती के बाद दोपहर 1 बजे से दही हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था। इस आयोजन में क्षेत्र भर से ग्वालवालों की टोलियां आती थी। मंदिर के आंगन में लगभग 20 फीट की ऊंचाई पर मटकी बांधी जाती थी और टोलियां एक-एक कर उसे तोडऩे का प्रयास करती थी।
इस मटकी को तोडऩे वाली टोली को मंदिर की ओर से 2100 रुपए का नकद पुरूस्कार एवं पांच किलो प्रसाद दिया जाता था। वहीं इसके बाद दंगल प्रतियोगिता होती थी। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस बार यह नहीं होगा। विदित हो कि श्रीरामराजा सरकार के आने के बाद से साढ़े चार सौ सालों में पहली बार ऐसा होगा जब ग्वालवाल इसमें शामिल नहीं होंगे।
पुजारी निभाएंगे परंपरा
तहसीलदार रोहित वर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते इस बार दही हांडी में युवाओं की टोलियां शामिल नहीं होगी। राजभोग की आरती के बाद मंदिर के पुजारी ही अंदर इस परंपरा का निर्वाहन करेंगे। उन्होंने लोगों से भी अपील की है कि वह भी अपने घरों में ही रहे।