टीकमगढ़

कुशल राजा को गुप्त मंत्रणा और गुप्तचर विभाग में पारंगत होना चाहिए

कथा के तीसरे बताए कुशल राजा के लक्षण

टीकमगढ़Jun 02, 2019 / 07:08 pm

anil rawat

Srivylmiki Ramayana katha

टीकमगढ़. सफल राजा वहीं है, जिसकी योजनाएं उसके विरोधियों तक न पहुंचे। कुशल राजा को धर्मपरायण होना चाहिए। वह ब्रम्ह मुहुर्त में जागे और सबसे पहले राज्य की कुशलता की योजना बनाएं। राजा को गुप्त मंत्रणा में पारंगत होना चाहिए और उसका गुप्तचर विभाग भी मजबूत होना चाहिए। यह बात मलूकपीठाधीश्वर देवाचार्य राजेन्द्रदास महाराज ने राम-भरत मिलाप में श्रीराम द्वारा भरत को दी गई कुशल राजा की शिक्षा की व्यख्या करते हुए कहीं।


स्थानीय झिरकी बगिया मंदिर में चल रही श्रीवाल्मीकि रामायण कथा के तीसरे दिन राजेन्द्रदास महाराज ने चित्रकूट में राम-भरत मिलाप का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि अपनी माताओं को लेकर भगवान श्रीराम के पास पहुंचे भरत जी जहां धर्मनीति से प्रभु को वापस ले जाना चाहते थे, वहीं उस समय रामजी भरत को धर्मयुक्त राजनीति की शिक्षा दे रहे थे। उन्होंने कहा कि रामजी भरत से कहते है कि हे भरत राजा की सफलता का एक मात्र मंत्र यह है कि उसकी योजनाओं को अमल में आने के पूर्व किसी को पता नही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राजनैतिक असफलता का एक मात्र कारण यही है कि पहले योजनाएं बनाई जाती है और अमल में आने के पूर्व उनका खूब प्रचार-प्रसार किया जाता है। इससे विरोधी उस योजना को लागू न होने देने के लिए पूरा जोर लगा देते है।

 

गूढ़ विषय पर अकेले निर्णय न लें: राजेन्द्रदास महाराज ने कहा कि श्रीराम की धर्मयुक्त राजनीति कहती है कि किसी भी राजा को किसी गूढ़ विषय पर अकेले निर्णय नही लेना चाहिए। उसे अपने विश्वास पात्र मंत्रियों के साथ ही अन्य लोगों से सहाल कर निर्णय लेना चाहिए। इसके साथ ही राजा को किसी विषय पर ज्यादा लोगों से गुप्त मंत्रणा नही करनी चाहिए। राजा को ऐसे काम करना चाहिए, जिससे राज्य का कम से कम धनबल खर्च हो और अधिक से अधिक लोगों को उसका लाभ मिले। किसी उत्तम कार्य को राजा को तत्काल प्रारंभ करना चाहिए। वहीं राजा को कम से कम सोने वाला होना चाहिए। राजेन्द्रदास महाराज ने कहा कि राजा का गुप्तचर विभाग बहुत मजबूत होना चाहिए। उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा कि जब महाराजा चंपत राय का निधन हो गया तो उनके पुत्र छत्रसाल खुद की प्राण रक्षा करते हुए मुगल सेना में भील का रूप धारण कर शामिल हो गए। जब मुगल शिवाजी पर आक्रमण करने जा रहे थे तो छत्रसाल वहां से निकल कर शिवाजी के दरवार में पहुंचे। जैसे ही वह शिवाजी के पास पहुंचे, तो शिवाजी ने सीधे कहा कि आओ छत्रसाल तुम्हारा स्वागत है। राजेन्द्रदास महाराज ने कहा कि यदि शत्रु पर विजय पाना है तो ऐसा ही गुप्तचर विभाग होना चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि राजा को मूर्खों और चाटुकारों से दूर रहना चाहिए।

 

सुबह से हो रहा यज्ञ: श्रीराम कथा के साथ ही झिरकी बगिया मंदिर में सुबह से श्रीराम महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। सुबह से प्रारंभ हो रहे इस यज्ञ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे है। काशी बनारस, अयोध्या एवं वृंदावन धाम से आए यज्ञाचार्यों द्वारा विधि-विधान से यज्ञ संपन्न कराया जा रहा है। वहीं शाम के समय रासलीला में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे है।
10 हजार लोगों ने पाया प्रसाद: इस आयोजन में भक्तों के लिए प्रतिदिन भंडारे में प्रसाद की व्यवस्था की गई है। रविवार को कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। रविवार को यहां पर भंडारे में लगभग 10 हजार श्रद्धालुओं ने प्रसाद गृहण किया। भंडारे में प्रसाद वितरण के लिए आयोजकों द्वारा बड़ी व्यवस्थाएं की गई है। श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण से लेकर किसी प्रकार की समस्या न हो, इसके लिए पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

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