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अहम शून्य हुए बिना न ज्ञान मिलेगा न भगवान: देवाचार्य

locationटीकमगढ़Published: Jun 04, 2019 08:06:14 pm

Submitted by:

anil rawat

श्रीबाल्मीकि रामायण कथा में भरत चरित्र सुनाते हुए राजेन्द्रदास महाराज ने श्रीराम-भरत मिलप की कथा सुनाई

Srivylmiki Ramayana katha

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टीकमगढ़. जब तक व्यक्ति के अंदर से अहम का नाश नही होता तब तक न तो ज्ञान की प्राप्ति होगी और न ही भगवान की। इसलिये हमें अहम शून्य होना पड़ेगा। आहार की शुद्धि बिना, विचार और कर्म की शुद्धि नही हो सकती। यह बात मलूकपीठाधीश्वर देवाचार्य राजेन्द्रदास महाराज ने श्रीवाल्मीकि रामायण कथा के पांचवे दिन स्थानीय झिरकी बगिया मंदिर प्रांगण में कहीं।


स्थिानीय झिरकी बगिया मेंं चल रही श्रीबाल्मीकि रामायण कथा में भरत चरित्र सुनाते हुए राजेन्द्रदास महाराज ने श्रीराम-भरत मिलप की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि जब भरत, राम जी से मिलने चित्रकूट पहुंचते है और पिता दशरथ के भगवत धाम गमन की बात बताते हैं तब राम जी को मूर्छा आ जाती है। होश में आने के बाद मंदाकिनी तट पर राघव प्रयाग में पिण्ड दान करते हैं। जब यह खबर सीता जी को मिलती है तो वह भी विलाप करती हैं, उन्होंने कहा कि महराज दशरथ का सीता जी से कितना प्रेम रहा होगा, जो सीता माता उनके निधन के समाचार से इतनी दुखी हो जाती है। उन्होंने कहा कि यदि हर पिता दशरथ की तरह हो जाए तो निश्चित ही उसे सीता जैसी बहु मिलेगी। उन्होंने कहा कि सभी को अपनी बहु को इतना प्रेम देना चाहिए कि वह अपने माता-पिता के प्रेम को भी भूल जाए। इसके बाद राम जी बार-बार भरत सहित सभी माताओं और प्रजा को अयोध्या लौट जाने के लिए कहते हैं। राम जी कहते है कि पिता की आज्ञा के तुम्हें राजपाट संभालना चाहिए , क्योंकि तुम धर्मनिष्ठ, नीतिज्ञ विनीत, कुशल, सत्यवादी हो। राम जी के यह वचन सुनकर भरत जी बहुत दु:खी होते हैं। राम जी की यह बात सुनकर सभी तरफ से साधु साधु की आवाज आने लगती है।

 

गाय मूल मैं होगी तभी आएंगे अच्छे दिन: उन्होंने गौसंरक्षण की बात करते हुए सरकार के अच्छे दिन के नारे की बात कहते हुए कि जब तक गाय मूल में नही होगी, अच्छे दिन नही आ सकते। उन्होंने कहा कि हमारे चित्त पर सबसे ज्यादा प्रभाव खान-पान का होता है । यदि लोक और परलोक में सुख चाहते हो, तो आहार शुद्ध लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अन्न के सूक्ष्म कण से मन का निर्माण होता है, और शुद्ध आहार केवल गाय से ही प्राप्त हो सकता है। उन्होंने कहा कि सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास तभी रहेगा जब भारत मे गोमाता की रक्षा होगी। महाराज जी ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह गो आधारित कृषि करने वाले किसानों को सब्सिडी दे तभी, अच्छे दिन आएंगे।


प्रत्येक किसान करें गोपालन: राजेन्द्रदास महाराज ने कहा कि गाय कामधेनु है। सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाली है। उन्होंने समस्त बुंदेलखंड वासियों से अपील करते हुए कहा कि इस क्षेत्र मे अनेक नदियों, तालाब है। यह क्षेत्र कृषि प्रधान है। इसलिए प्रत्येक किसान को गोपालन करना चाहिए। इसके साथ ही अपनी आय में से कुछ निराश्रित गोवंश के लिए भी देना चाहिए। महाराज ने कहा कि कुंडेश्वर मंदिर की तरफ से निराश्रित गोवंश के लिए 10 एकड़ भूमि पर जल्द से जल्द गोशाला खोलने के लिए कहा जिससे उन्हें बहुत प्रसन्नता है। उन्होंने कहा कि मैं जहां जाता हूं यही प्रयास करता हूँ कि गोमाता के लिए कुछ करूं।
समरसता का उदाहरण है रामजन्मोत्सव परिवार: मलूकपीठाधीश्वर ने कहा कि श्रीरामजन्मोत्सव परिवार के युवाओ द्वारा दी जा रही सेवा अनुकरणीय है। इतनी तेज गर्मी में भंडारे में निस्वार्थ सेवा ादी जा रही है। यही सेवा भारत को विश्व गुरु बनाती है। उन्होंने कहा कि यदि देश का युवा इसी तरह धर्म मे रुचि रखेगा तो देश बहुत आगे जाएगा। महाराज ने कहा कि कल मैं भी भंडारे में गया था। पता चला कि भीड़ ज्यादा होने पर काम करने वालों की कमी हो रही है। तब श्रीरामजन्मोत्सव परिवार के युवाओं ने बिना किसी भेदभाव के थालियां साफ कर समरसता का सही उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि लोग समरसता की सिर्फ बात करते है, किसी को समरसता देखनी है तो यंहा आकर देखे। उन्होंने कहा कि यह सत्संग का प्रभाव है। इसलिए सभी को सत्संग मेंं जरूर जाना चाहिए। सत्संग से ही व्यक्ति विवेक शील होता है।

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