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अवसाद: हर दूसरे दिन हो रही एक आत्महत्या

locationटीकमगढ़Published: Mar 23, 2019 09:05:31 pm

Submitted by:

anil rawat

अपनों से बयां नही कर पा रहे दिल में दबा दर्द

Suicides

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टीकमगढ़. संपन्नता एवं चकाचौंध की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनों से दूर होते जा रहे है। इस आपाधापी में परिवारिक एवं समाजिक तानाबाना भी कमजोर हो रहा है। ऐसे मेें लोग विषम परिस्थितियों में खुद को सम्हाल नही पा रहे और अवसाद से ग्रसित हो रहे है। अवसाद से ग्रसित लोग सीधा आत्मघाती कदम उठा रहे है। विदित हो कि जिले में हर दूसरे दिन एक न एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है।
आज समाज में संपन्नता आई है। लोगों के विचारों में खुलापन आया है। समाज तकनीकि रूप से संपन्न हुआ है। लेकिन कहीं कमी आई है, तो वह है आपसी संबंधों में। लोगों के बीच अपनत्व और विश्वास कम हुआ है। यही कारण है कि समाज में आत्महत्याएं बड़ रही है। वर्तमान में देखा जा रहा है कि लोग अपने परिवार, समाज एवं मित्रों के साथ रह रहे है, लेकिन उनके बीच वह आत्मीयता या अपनापन नही है, जो उन्हें विषम परिस्थितियों में संबल प्रदान कर सकें। आलम यह है कि लोग अब अपनों से भी दिल का दर्द ही अपनों से सांझा नही कर पा रहे है। ऐसे में थोड़ी सी भी विषम परिस्थिति होने पर लोग खुद को अकेला समझ लेते है और परेशानी का अंत होने न देख जीवन से मुक्ति पाने का विचार कर लेते है। यही कारण है कि पिछले कुछ समय से समाज में आत्महत्या के प्रकरणों में तेजी से बड़ोत्तरी हुई है।

हर दूसरे दिन हो रही आत्महत्या: पुलिस विभाग ने प्राप्त आंकड़ों की माने तो जिले में हर दूसरे दिन कोई न कोई व्यक्ति आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहा है। पिछले सालों की बात करें तो पिछले तीन सालों में 2016 से लेकर 2018 तक जिले में कुल 481 लोग आत्महत्याएं कर चुके है। ऐसे में यदि देखा जाए तो जिले में दो दिन में एक व्यक्ति खुद को मौत के गले लगा रहा है। वर्ष 2016 में जिले में 167, 2017 में 144 एवं 2018 में 170 लोगों ने खुद की जीवन लीला समाप्त की है।
मौत के साथ दफन हो रहे राज: लगभग हर दूसरे दिन हो रही इन आत्महत्या में मौत के साथ ही वह राज भी दफन हो रहा है, जिसके चलते लोग इतना बड़ा कदम उठा रहे है। पुलिस ने दर्ज लगभग 95 फीसदी आत्महत्या के मामलों में कारण अज्ञात ही रहता है। मरने वाले ने आत्महत्यों कि इसका राज भी उसकी मौत के साथ दफन हो जाता है। हर मामले में परिजन और पुलिस केवल कयास ही लगाती है कि शायद ऐसा हुआ होगा।
अवसाद है बड़ी वजह: आत्महत्या के बड़ रहे मामलों का मनो वैज्ञानिक डॉ अब्दुल सदम हासमी भी अवसाद ही कारण मानते है। उनका कहना है कि 75 प्रतिशत मामलों में यही देखने में आता है कि अवसाद के कारण लोग ऐसे कदम उठाते है। जिन लोगों के सामाजिक सर्कल नही हेाते है और जो रिजर्व नेचर के होते है, वह अपने मन की बात बाहर नही निकाल पाते है। ऐसे में वह होपलैस हो जाते है और यह कदम उठाते है। वहीं इन मामलों को नजदीक से देखने वाले पुलिस अधीक्षक अनुराग सुजानिया भी मानते है कि कहीं न कहीं सोसायटी में सपोर्ट सिस्टम कमजोर हुआ है। इससे लोग अपने अंदर का दुख या आक्रोश अपनों से शेयर नही कर पा रहे है। जब लोग एक बार डिप्रेशन में जाते है तो छोटी से नकारात्मक बात भी कई गुना बड़ जाती है और लोग यह कदम उठाते है।
कहते है अधिकारी: आत्महत्या के 75 प्रतिशत मामलों में अवसाद ही वजह सामने आती है। यह मानसिक बीमारी है। जिनके पास सोशल सर्किल नही होते है, वह इसकी चपेट में आते है और बाहर नही निकल पाते है। यह एक चिंता का विषय है।- डॉ अब्दुल समद हासमी, मैदानिक मनोवैज्ञानिक, उड़ान केन्द्र टीकमगढ़
आत्महत्या के बड़ते मामले चिंता का विषय है। सोशल सपोर्ट सिस्टम कमजोर होने के कारण लोग अपने मन की बात आपस में शेयर नही कर पा रहे है। ऐसे में लोग डिप्रेशन का शिकार होकर यह कदम उठा रहे है। हमें अपने सामाजिक परिवेश और आचरण को मजबूत करना होगा।- अनुराग सुजानिया, पुलिस अधीक्षक, टीकमगढ़।

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